चंपावत उपचुनाव में भाजपा की जीत से कांग्रेस में रार
देहरादून। चंपावत उपचुनाव में करारी हार से अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। वैसे हार तो अप्रत्याशित नहीं थी, लेकिन पार्टी को जिस कदर दयनीय प्रदर्शन रहा है, उसने कई गंभीर सवाल उठा दिए हैं। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड में फेरबदल कर दिया था। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। हाईकमान ने माहरा को प्रदेश अध्यक्ष और तो यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। उम्मीद दी कि भविष्य में ये कांग्रेस में जान फूंकेंगे, लेकिन इन दोनों के नेतृत्व में उत्तराखंड के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को सबसे बड़ी हार झेलने को विवश होना पड़ा है। राज्य के इतिहास में कांग्रेस की यह सबसे दयनीय हार है। भाजपा प्रत्याशी और सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जहां 58 हजार से ज्यादा वोट हासिल कर नया इतिहास रचा है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी के खाते में कांग्रेस के अब तक के इतिहास में सबसे कम महज 3233 वोट मिले हैं। यह स्थिति तब हुई जबकि माहरा, आर्य, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व सीएम हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत कई दिग्गज चंपावत में डेरा डाले रहे। इस बड़ी हार की खीझ पर अब भले ही कांग्रेसी नेता सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हो, लेकिन हकीकत में उन्हें आत्म चिंतन की जरूरत है।
बकौल आर्य भाजपा और सरकारी सिस्टम की साजिश की वजह से यह परिणाम आया। कांग्रेस कार्यकर्ता को डराया धमकाया गया। चुनाव जल्दबाजी में कराए गए। आचार संहिता की धज्जियां उड़ी, बूथ एजेंट को भगाया गया। जनता को भी डराया गया।
अब निकाय, पंचायत और लोकसभा चुनाव में होगी परीक्षा: करन और आर्य की परीक्षा का सिलसिला अब जल्द ही शुरू होने जा रहा है। उपचुनाव के बाद अब निकाय, पंचायत चुनाव होने हैं। इनके ठीक बाद वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव भी होगा। ये तीनों चुनाव कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे।
निर्मला गहतोड़ी ने भी उठाए सवाल: चंपावत उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी की करारी हार हुई है। उन्होंने कांग्रेस संगठन और कांग्रेस नेतृत्व में सवाल उठाए हैं। कहा कि कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता चंपावत में चुनावी प्रचार को नहीं आया। गहतोड़ी का कहना है कि पार्टी की ओर से उन्हें पूरी तरह से सहयोग नहीं मिला है।