जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिवस
हरिद्वार। वनौषधि पण्डित उपाधि से सम्मानित आचार्य बालकृष्ण महाराज का जन्मोत्सव कार्यक्रम ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में वैदिक गुरुकुलम् के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ यजुर्वेद एवं सामवेद परायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ हुआ। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 4 अगस्त को पूरे देश के 600 जिलों में, 5000 से अधिक तहसीलों व 1 लाख से अधिक गाँवों मे आचार्य बालकृष्ण महाराज का जन्मदिवस ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिन पतंजलि के विविध संगठनों व इकाइयों के माध्यम से देश के लगभग प्रत्येक जिले में 5,000 से 10,000 औषधीय पौधों का नि:शुल्क वितरण कर जडी-बूटी सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु पतंजलि द्वारा पूरे देश में 1 करोड़ औषधीय पौधे विशेष रूप से गिलोय रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज, आचार्य बालकृष्ण महाराज ने पौधों का रोपण किया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज ने आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिवस की शुभकमनाएँ प्रेषित करते हुए कहा कि आचार्य बालकृष्ण का तेजस्वी जीवन हम सबकी प्रेरणा है। उनका जन्मदिवस पूर्ण पुरुषार्थ व परमार्थ का प्रतीक है। ईश्वर उनको सर्वविध सुरक्षित रखें और ऐसे ही उनका मंगल आशीष हम सबको मिलता रहे। इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि जन्मदिन तो मात्र बहाना है, हमें तो इस दिन अपने सेवा कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करना होता है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि श्रावण मास में पैदा होने का कोई तो प्रयोजन होगा क्योंकि जड़ी-बूटियाँ भी तो श्रावण मास में ही लगाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि हमने जड़ी-बूटी रोपण को एक संकल्प के रूप में लिया है। हमारे निमित्त से यदि जड़ी-बूटियों का संरक्षण हो रहा है तो यह हमारे लिए गौरव की बात है। आचार्य जी ने कहा कि कोरोना काल में हमारे संगठन के मुख्य केन्द्रीय प्रभारीगण के दिशानिर्देशन में उत्तराखण्ड में ही करीब 1 लाख गिलोय रोपित किया जा चुका है, इसके लिए उन्होंने सभी संगठनों व पतंजलि योग समितियों के सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि गिलोय कोरोना संक्रमण से बचाव में अतिलाभकारी है तथा कोरोनिल कोरोना के प्रिवेंशन तथा उसके मेनेजमेंट में महत्वपूर्ण औषधि है। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण द्वारा संरक्षित प्राचीन पाण्डुलिपियों पर आधारित 10 ग्रन्थों का विमोचन किया गया जिनमें 4 ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में अजीर्णामृतमंजरी, लघु निघण्टु, अष्टांग निघण्टु तथा सौश्रुत निघण्टु हैं। इनके अतिरिक्त 6 ग्रन्थ हिन्दी भाषा में यथा- कुमारामृतम्, हंसराज निदानम्, बलि प्रथा- पूजा या हिंसा, सन्धित प्रकाश तथा वेदों की शिक्षाएँ का भी विमोचन किया गया। पूज्य आचार्य जी ने कहा कि इनमें से अधिकांश ग्रन्थ अप्रकाशित थे जिन्हें पतंजलि के माध्यम से पहली बार प्रकाशित किया जा रहा है। कार्यक्रम में गुरुदेव आचार्य प्रद्युम्न महाराज, परमार्थ निकेतन अध्यक्ष महंत चिदानंद मुनि महाराज तथा माता गुलाब देवी ने आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ दी। पद्मसेन आर्य, डॉ. यशदेव शास्त्री, बहन ऋतम्भरा, रामभरत , साध्वी देवप्रिया, ललित मोहन, डॉ. महावीर, बहन अंशुल, बहन पारुल, श्रीमती प्रवीण पुनिया, अजय आर्य, डॉ. जयदीप आर्य, भाई राकेश, स्वामी परमार्थ देव, स्वामी ईशदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी हरिदेव, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देवमयि, साध्वी देवप्रिति आदि ने पूज्य आचार्य जी महाराज को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।