बायोफ्लोक तकनीकी से करें अब छत और छोटी सी जगह में भी मछली पालन, मिलेगी सब्सिडी

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मिलेगी सब्सिडी

रुद्रपुर। बिना तालाब निर्माण किए बायोफ्लोक तकनीकी से छत और छोटी सी जगह में भी अब मछली पालन किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत इस तकनीक से मछली पालन करने वालों को सब्सिडी भी मिलेगी। योजना के तहत साढ़े सात लाख रुपये के प्रोजेक्ट लागत में सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत, एससी-एसटी और महिलाओं को 60 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। दरअसल मछली पालन के लिए एक हेक्टेयर की भूमि में तालाब होना जरूरी होता है। कई लोगों के पास भूमि न होने की वजह से वे मछली पालन नहीं कर पाते हैं। अब बायोफ्लोक तकनीक का इस्तेमाल करके छोटी सी जगहों में भी लोग रोहू, कत्ला, नैन, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प मछलियों का पालन किया जा सकेगा।
बौर फिश फार्म में बायोफ्लोक तकनीक से किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ निरीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि बायोफ्लोक तकनीक से पालिमर शीट के सर्कुलर टैंक स्थापित किए जाएंगे। टैंक मात्र 132 स्क्वायर मीटर जगह घेरेंगे। इसमें 15 हजार लीटर तक पानी भरा जा सकता है। एक टैंक से तीन टन तक मछलियों का उत्पादन किया जा सकेगा। बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल करके कम लागत में ही लोग ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके साथ ही पानी की बचत भी हो सकेगी। मत्स्य निरीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि जिले में बायोफ्लोक तकनीक से किसानों को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण देने के लिए गदरपुर के बौर फिश फार्म में ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाएगा। ट्रेनिंग सेंटर खोलने के लिए जिला प्रशासन से 7.50 लाख रुपये बजट की मांग की गई है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही किसानों को योजना के तहत सब्सिडी दी जाएगी।