

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)। पहाड़ में जगह-जगह भालू की सक्रियता चिंता का विषय बनती जा रही है। हालांकि लोगों को उम्मीद थी कि भालू ठंढ बढ़ने के कारण शहरों से दूर चले जाएगा किंतु अनेक जगहों पर भालू के हमले की घटनाएं और सक्रयिता आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। अब, यदि जल्द भालू शीतनिंद्रा में न गया तो और भी घातक हो सकता है। रुद्रप्रयाग जनपद में वन विभाग लगातार भालू के हमले रोकने और इसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है। वन विभाग की प्रांरभिक जानकारी में वर्तमान में जनपद में 6 से अधिक भालू सक्रिय दिख रहे हैं। हालांकि यह संख्या इससे भी अधिक हो सकती है। बावजूद भालू के हमले से लोगों को जागरूक और बचाया जा सके, इसके लिए वन विभाग ने कई जगहों पर लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया है। भालू का स्वभाव आदमखोर नहीं होता है किंतु वह मानव को क्षति पहुंचा सकता है। एक भालू एक दिन में करीब 10 किमी तक भ्रमण कर सकता है। उप वन संरक्षक रजत सुमन ने बताया कि अब तक 168 जगहों पर जागरूकता गोष्ठी आयोजित की गई है जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को जागरूक किया गया है। उन्होंने बताया कि भालू को अब तक शीतनिंद्रा में चला जाना चाहिए था किंतु भालू की सक्रियता चिंता का कारण है। उन्होंने बताया कि भालू का जून से अक्टूबर तक मीटिंग सीजन रहता है जबकि शीतनिंद्रा में ही भालू बच्चों को जन्म देता है किंतु इस बार नवम्बर खत्म होने पर भी भालू की सक्रियता से लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है। विभागीय स्तर पर इसके लिए लम्बा शोध भी किया जा रहा है। अब यदि भालू जल्द शीतनिंद्रा में नही गया तो क्या वह और भी हमलावर होंगे इस बात को लेकर लोगों में भय का माहौल बना है। यदि भालू के लिए शीतनिंद्रा जरूरी है तो फिर वह शीतनिंद्रा में कब जाएगा इसको लेकर भी वन विभाग और लोगों में चर्चाएं की जा रही है।

