बाणाधार में हुआ काली माता और बाशिक महासू महाराज का मिलन

विकासनगर(आरएनएस)।  जखोली मेले से पहले पूजन प्रवास के लिए बाशिक महासू देवता की पालकी सोमवार को अपने मूल मंदिर मैंद्रथ से काली माता मंदिर बाणाधार के लिए रवाना हुई। दोपहर 12 बजे मैंद्रथ मंदिर से देवता की पालकी गाजे बाजे के साथ गर्भगृह से बाहर निकली। देव पालकी का त्यूणी, सुखेड़, दारागाड समेत जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया।भीषण गर्मी में भी श्रद्धालुओं में पालकी को कंधा लगाने की होड़ लगी रही। बजीर शाठीबिल दीवान सिंह राणा ने बताया सोमवार को बाशिक महासू देवता की पालकी काली माता के विशेष आग्रह पर बाणाधार में रात्रि प्रवास करेंगी। उधर, बाणाधार में सुबह से ही श्रद्धालुओं देव दर्शन को लेकर उत्साह का माहौल बना हुआ था। आसपास के कई गांवों समेत हिमाचल प्रदेश, उत्तरकाशी से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाणाधार पहुंचे। जबकि काली माता के देव कारिंदे रविवार शाम हो ही बाणाधार के मंदिर में पहुंच चुके थे। देर शाम बाशिक महाराज के गांव की सीमा में प्रवेश करते ही चार भाई महासू के जयकारे गूंजने लगे। ग्रामीण और काली माता के देव कारिंदे गांव की सीमा पर देवता की आगवानी के लिए गांव की सीमा में पहले से ही खड़े थे। सीमा से ग्रामीण आस्था और श्रद्धा के साथ देव पालकी को काली माता मंदिर परिसर में लेकर आए, जहां बाशिक महासू महाराज और काली माता का मिलन हुआ। दोनों देव पालकियों के मिलन का दृश्य देखकर श्रद्धालुओं की आंखें भी नम हो गई। काली माता की ओर से सोमवार रात और मंगलवार दोपहर को भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान प्रताप सिंह रावत, लछराम राणा, कुंवर सिंह, चतर सिंह, करम चंद राणा, श्याम सिंह, जयपाल सिंह, भोपाल सिंह, भादर सिंह आदि मौजूद रहे।