अल्मोड़ा में विलुप्त होते नौलों के संरक्षण की अनूठी पहल, पार्षदों ने उठाई जिम्मेदारी

अल्मोड़ा(आरएनएस)। एक समय में शुद्ध पेयजल के मुख्य स्रोत रहे अल्मोड़ा नगर के पारंपरिक नौले अब विलुप्ति के कगार पर हैं। नगर में कभी सैकड़ों की संख्या में मौजूद रहे ये जलस्रोत अब गिनती के ही बचे हैं। इन्हें बचाने और भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की जिम्मेदारी अब नगर के जागरूक जन प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाई है। पार्षद अमित साह ‘मोनू’ की अगुवाई में एक माह पूर्व शुरू हुई इस पहल के तहत हर सप्ताह एक नौले की सफाई और उसके संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। रविवार, 29 जून को इस अभियान के तहत बल्ढौटी जंगल के भीतर स्थित एक प्राचीन नौले की सफाई की गई। इस कार्य में पार्षद अभिषेक जोशी, हिसालु संस्था के कृष्णा सिंह, पूर्व सभासद जगमोहन बिष्ट, ग्रीन हिल संस्था के दीपक जोशी सहित कई स्थानीय नागरिकों ने सहयोग दिया। पार्षद अमित साह ने बताया कि नौले केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत भी हैं। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में जब नगर की जल आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब यही नौले आमजन के लिए पेयजल का एकमात्र स्रोत बनते हैं। साथ ही, हिंदू परंपरा में क्रियाकर्म जैसे धार्मिक कार्य भी इन नौलों के समीप ही संपन्न होते हैं, जिससे इनकी धार्मिक और सामाजिक महत्ता भी जुड़ी है। हिसालु संस्था के कृष्णा सिंह ने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में नौलों की देखभाल अत्यंत जरूरी है। यह प्रकृति द्वारा प्रदत्त जलस्रोत हैं, जिन्हें बचाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे इन पारंपरिक जलस्रोतों की सफाई में सहभागी बनें और उन्हें संरक्षित रखने में सहयोग दें। पार्षदों ने नगर निगम और प्रशासन से मांग की है कि नौलों की मरम्मत और रखरखाव के लिए बजट का अलग से प्रावधान किया जाए, ताकि टूट-फूट और उपेक्षा के कारण यह धरोहर समाप्त न हो। बताते चलें कि एक माह पूर्व शुरू हुआ यह अभियान अब ठोस परिणाम देने लगा है। जिन नौलों की सफाई की गई है, वहां स्थानीय लोग अब पुनः पेयजल भरने लगे हैं और जल स्रोतों की सफाई को लेकर जागरूकता भी बढ़ रही है। पार्षद अमित साह ने कहा कि यह अभियान बिना रुके निरंतर जारी रहेगा और नगर के सभी नौलों को संरक्षित करने तक प्रयास चलता रहेगा।