एआईपी प्रणाली के विशिष्ट परीक्षणों में किये महत्वपूर्ण पड़ाव पार
नई दिल्ली (आरएनएस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज भूमि आधारित प्रोटोटाइप को सफलतापूर्वक साबित करके एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार संयंत्र को एंड्योरेंस मोड और अधिकतम पावर मोड में संचालित किया गया था। इस प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की नौसेना सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एनएमआरएल) द्वारा विकसित किया गया है।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी की घातकता को काफी बढ़ा देती है। एआईपी तकनीक समंदर के अंदर पनडुब्बियों को ज्यादा देर तक रहने की इजाजत देता है। एनएमडीएल का ईंधन सेल आधारित है क्योंकि हाइड्रोजन जहाज पर उत्पन्न होता है।
ऐसे समय जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार की एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली अपनाई जा रही हैं। हाइड्रोजन का उत्पादन जहाज पर होने के चलते नेवल मैटेरियल्स रिसर्च लेबोरेटरी (एनएमआरएल) की ईंधन सेल-आधारित एआईपी तकनीक अद्वितीय हैं।
इस तकनीक को उद्योग भागीदारों एलएंडटी और थर्मेक्स के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है। यह अब पनडुब्बी में फिटमेंट के लिए पूरी तरह तैयार है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय नौसेना और उद्योग को बधाई दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीडीआरएंडडी) के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इसके सफल विकास में शामिल टीमों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ बिरादरी से असाधारण प्रयास करते हुए ऐसी और उन्नत तकनीकी उपलब्धियां हासिल करने का आह्वान किया।