उत्तराखंड में अचल सम्पत्ति विवरण न देने वालों पर कार्यवाही तो दूर मानीटरिंग तक नहीं हो रही

98 पी.सी.एस. अधिकारियों ने नहीं दिया वर्ष 2018 का अचल सम्पत्ति विवरण
देहरादून। उत्तराखंड की नौकरशाही पारदर्शिता व भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिये कर्मचारी आचरण नियमावली तथा लोकायुक्त अधिनियम में शामिल वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण प्रस्तुत करने के नियम का पालन नहीं कर रही है। स्थिति तो यह हैै कि उत्तराखंड शासन द्वारा उसकी मानीटरिंग तक नहीं की जा रही है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को कार्मिक विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग के लोक सूचना अधिकारी से पी.सी.एस. अधिकारियों द्वारा वर्ष 2018 व 2019 में वार्षिक सम्पत्ति विवरण देने व न देने वालों की सूची की सत्यापित प्रतियां चाही थी। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी/अनुसचिव हनुमान प्रसाद तिवारी ने अपनेे पत्रांक 01 दिनांक 28 फरवरी 2020 से उत्तराखंड में कार्यरत पी.सी.एस. सभी अधिकारियों तथा 2018 व 2019 में सम्पत्ति विवरण देने वालों की सूचियां उपलब्ध करायी है लेकिन विवरण न देने वालों की सूचियां नहीं उपलब्ध करायी हैै। केवल यह लिख दिया हैै कि कि जिन अधिकारियों ने सम्पत्ति विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया हैै उनके नाम आप स्वयं उक्त सूचियों से ज्ञात कर सकते हैै। इससे स्पष्ट प्रमाणित हो गया कि उत्तराखंड में अचल सम्पत्ति विवरण न देने वालों पर कार्यवाही तो दूर इसकी मानीटरिंग तक नहीं हो रही है। सम्पत्ति विवरण देने वालों की सूची के अवलोकन से यह भी स्पष्ट हैै कि अधिकतर अधिकारियों ने शासनादेश में निर्धारित समय सीमा ( हर वर्ष 31 अगस्त तक) के अन्दर अचल सम्पत्ति विवरण नहीं दिया है।
श्री नदीम को उत्तराखंड में कार्यरत पी.सी.एस. अधिकारियों की सूची में कुल 150 सिविल सेवा के अधिकारियों तथा 9 स्थापन्न डिप्टी कलैक्टरों कुल 159 अधिकारियों की सूची उपलब्ध करायी है जबकि 2018 में अचल सम्पत्ति विवरण उपलब्ध करानेे वालों में केवल 61 तथा 2019 में विवरण उपलब्ध कराने वालों में 141 अधिकारी शामिल है। इस प्रकार 2018 में 62 प्रतिशत 98 अधिकारियों ने तथा 2019 में 11 प्रतिशत 18 अधिकारियों ने अचल सम्पत्ति विवरण नहीं उपलब्ध कराया है। श्री नदीम को उपलब्ध सूचियों के अवलोकन से ज्ञात हुआ हैै कि 18 पी.सी.एस. अधिकारी ऐसे है जिन्होंने 2019 में अपना अचल सम्पत्ति विवरण नहीं दिया हैै। इन अधिकारियों में उमेश नारायण पाण्डेय, दीप्ति सिंह, हरक सिंह रावत, भरत लाल फिरमाल, सादिया आलम, शिवचरण द्विवेदी, कृष्ण कुमार मिश्रा, नारायण सिंह डांगी, फ्रिंचाराम किशन सिंह नेगी, रविन्द्र कुमार जुवांठा, मायादत्त जोशी, हिमांशु कफल्टिया, कुुमकुुम जोशी, गौरव पाण्डे, जितेन्द्र वर्मा तथा संदीप कुमार शामिल हैै। श्री नदीम को उपलब्ध 2018 में सम्पत्ति विवरण देने वाले 61 अधिकारियों की सूची में अनिल कुमार चन्याल, अरविन्द कुमार पाण्डे, आशोक कुमार पाण्डे, अवधेेश कुमार सिंह, बी.एस. चलाल, वीर सिंह बुद्धियाल, चन्दन सिंह धर्मशक्तु, चन्द्र सिंह इमलाल, डा0 अभिषेक त्रिपाठी, डॉ० आनन्द श्रीवास्तव, गौैरव चटवाल, गोपाल राम बिनवाल, गोपाल सिंह चैैहान, हंसा दत्त पांडेय, हरगिरी, हरबीर सिंह, हेमंत कुमार वर्मा, जगदीश चन्द्र कांडपाल, जीवन सिंह नगनयाल, झरना कामरान कमथान, कैलाश सिंह टोलिया, कौैस्तुभ मिश्रा, मनीष कुमार सिंह, मौै0 नासिर, मीनाक्षी पटवाल, मोहन सिंह बरनिया, नारायण सिंह नबियाल, नरेन्द्र सिंह क्वारियाल, नवनीत पांडेय, निर्मला बिष्ट, नुपुर वर्मा, पंकज कुमार उपाध्याय, परितोष वर्मा, प्रकाश चन्द्र, प्रशांत कुमार आर्या, प्रत्यूष सिंह, प्यारे लाल शाह, राहुल कुमार गोयल, राकेश चन्द्र तिवारी, रमेश चन्द्र गौतम, रज़ा अब्बास, रिंकू बिष्ट, संगीता कनोजिया, संजय कुमार, सीमा विश्वकर्मा, शैैलेन्द्र सिंह नेगी, शालिनी नेगी, श्रीष कुमार, सोनिया पंत, सुरेन्द्र लाल सेमवाल, उदय सिंह राणा, उत्तम सिंह चौहान, विपरा त्रिवेदी, विवेक प्रकाश, विवेेक राय, योगेन्द्र सिंह, युक्ता मिश्रा, चतर सिंह, देवेन्द्र सिंह नेगी, चन्द्र सिंह मर्तोलिया, हरक सिंह रावत शामिल है।