आतंकी कर रहे थे लोगों को ब्रेनवॉश, सिमी के बाद जेएमबी का नेटवर्क खड़ा करने का पाले थे मंसूबा

भोपाल (आरएनएस)। आतंकवादी संगठन जमात-ए-मुजाहिदीन-बांग्लादेश जेएमबी के लिए काम करने वाली आतंकी देश में एक बार फिर खलीफा राज कायम करना चाहते थे। गोपनीय तौर पर वे व्यापक प्रचार-प्रसार करने में जुटे हुए थे। पकड़े गए चारों आतंकी पहले लोगों से सहज हाव-भाव में मिलते थे, दोस्ती गांठते थे और फिर तमाम किताबों और साहित्य के जरिए उनका ब्रेनवॉश  करने में जुट जाते थे। मध्यप्रदेश में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इङ्क्षडया सिमी का नेटवर्क ध्वस्त होने के बाद आतंकी जमात-ए-मुजाहेदीन-बंग्लादेश का नया नेटवर्क खड़ा करने की तैयारी में थे। यह खुलासा खुद चारों आतंकियों ने मध्यप्रदेश आतंकवाद विरोधी दस्ता एमपी एटीएस की पूछताछ में किया है। एटीएस चारों आतंकियों से फिलहाल अलग-अलग रखकर पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसी ने फजहर अली उर्फ मेहमूद, मोहम्मद अकील उर्फ अहमद, जहूरउद्दीन उर्फ इब्राहिम उर्फ मिलोन पठान उर्फ जौहर अली, फजहर जैनुल आबेदीन उर्फ अकरम अल हसन उर्फ हुसैन को एक दिन पहले भोपाल के ऐशबाग इलाके से गिरफ्तार किया था। पकड़े जाने के समय आतंकियों के पास से जो साहित्य मिला है वह बेहद खतरनाक और चौंकाने वाला है। उनके ब्रेनवॉश का तरीका भी खलीफा की अवधारणा को अमलीजामा पहाने वाला था। पूछताछ में उन्होंने स्वीकार भी किया कि वे खलीफा राज को कायम करना चाहते थे। इसके लिए देश और दुनिया में गोपनीय तौर पर इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। वे खलीफा राज को क्यों लागू करना चाहते हैं? इस सवाल के जवाब में आतंकियों ने कहा, मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था हमारे लिए उपयुक्त नहीं है। वे कहते हैं, हम लोग खलीफा राज (सम्राट) मानते हैं और उसे हर-हाल में लागू करना चाहते हैं। दरअसल खलीफा राज का मतलब गवर्नर से है। वे देश में गवर्नर लॉ लागू करवाना चाहते हैं। वर्ष 1923 से पहले दुनिया में बहुत सारी जगह पर यह व्यवस्था लागू थी, तब गवर्नर सुप्रीमो हेाता था। लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बावजूद बहुत सारे कट्टरपंथी संगठन अभी भी इसे लागू करना चाहते हैं। इसीलिए आतंकी अभियान छेड़े हुए हैं।  पुलिस की माने तो पकड़े गए आतंकी डेढ़ साल से भोपाल में रह रहे थे। पकड़े गए आतंकियों में तीन बांग्लादेश और एक बिहार का रहने वाला है। ये धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिएक ुछ समय के लिए कमरे से बाहर निकलते थे। इसके अलावा वे पूरे समय घर के अंदर रहते थे। वह किसी से मिलते-जुलते नहीं थे। थोड़ी देर के लिए जब ये निकलते थे, तब अपने मंसूबे को अंजाम देते थे। उनका मकसद संगठन में लोगों की भर्ती करना था। इसके लिए उन्हें कुछ युवतियों की भी तलाश थी। एनआईए ने जुलाई 2001 में इस संगठन  से जुड़े कुछ आतंकियों को कोलकाता से गिरफ्तार किया था। इनमें संगठन का मुख्य कर्ताधर्ता इनाउर रहमान भी शामिल है। गिरफ्तारी के बाद आतंकियों के मंसूबे का पता देश की प्रमुख जांच एजेंसी को लगा था। उसके बाद एनआईए ने उनके गुनाहों को कई राज्यों को एजेंसियों के साथ साझा किया था। इनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। तब से एमपी एटीएस आतंकियों के नेटवर्क पर काम कर रहा है। सिमी का नेटवर्क मध्यप्रदेश में लगभग ध्वस्त हो गया है। बांग्लादेश का यह आतंकी संगठन सिमी के नेटवर्क का भी उपयोग करना चाहता था, लेकिन उसका फोकस नए लोगों को जोडऩे में था। आतंकियों की रुचि युवाओं में ज्यादा थी। इसके लिए वे युवतियों पर दांव लगा रहे थे। नेटवर्क खड़ा करने के बाद, उनका इरादा सिमी को साथ लेकर तेजी से आगे बढऩे का था। उनके कुछ दस्तावेज भी जांच एजेंसी को मिले हैं। अब जांच एजेंसी उन दस्तावेजों की तस्दीक करने में जुटी है। गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भोपाल में चार आतंकियों के पकड़े जाने के बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। यह अभियान सभी स्तर पर चलाया जाएगा। जो भी संदिग्ध लोग होंगे, उनके बारे में जानकारी एकत्रित की जाएगी। उनकी पहचान कर पूछताछ होगी। गिरफ्तार आतंकियों के मामले में यह तक जानने की जरूरत है कि इस पर काम चल रहा है। इसके लिए एसआईटी भी बना है। एसआईटी गहराई में जाकर पूछताछ करेगी। पकड़े गए आतंकियों में तीन ने स्वीकार कर लिया कि वे बांग्लादेश के हैं।


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