आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन को लेकर सरकार सक्रिय
देहरादून। आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन के लिए उत्तराखंड सरकार अधिक सक्रिय हुई है। बीते साढ़े चार साल में 80 गांवों के 1423 परिवारों को विस्थापित किया गया। इनमें इस वर्ष अभी तक विस्थापित किए गए 42 गांवों के 477 परिवार भी शामिल हैं। अब 13 और गांवों के 86 परिवारों के विस्थापन के लिए कवायद है। आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन की मुहिम में और तेजी लाने के दृष्टिगत बजट के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार में भी दस्तक दी है।
उत्तराखंड लगातार ही अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकंप जैसी आपदाओं का दंश झेलता आ रहा है। नतीजतन, आपदा प्रभावित गांवों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। पर्वतीय क्षेत्र में ऐसे प्रभावित गांवों की संख्या सर्वाधिक है। वर्ष 2015 में आपदा के लिहाज से संवेदनशील 225 गांव चिह्नित किए गए, जिनका भूगर्भीय सर्वेक्षण होना है। हालांकि, वर्तमान में ऐसे गांवों की संख्या चार सौ से अधिक आंकी गई है। जिस तरह आपदा प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ रही है, उस लिहाज से इनके विस्थापन की मुहिम शुरुआती दौर में तेज नहीं रही है। दरअसल, सरकार ने आपदा प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास के लिए वर्ष 2011 में नीति बनाई। वर्ष 2012 से यह लागू हुई। नीति को तब कितनी गंभीरता से लिया गया, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2012 से 2015 तक केवल दो गांवों के 11 परिवारों का ही विस्थापन हो पाया। हालांकि, मौजूदा सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और वर्ष 2017 से लेकर सितंबर 2021 तक 80 गांवों के 1434 परिवारों को विस्थापित करने में सफलता हासिल की। इस पर 60 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की गई है। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन ने बताया कि आपदा प्रभावित गांवों के विस्थापन के लिए गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। भूगर्भीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट समेत अन्य सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता के आधार पर प्रभावित परिवारों का विस्थापन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब पांच जिलों के 13 गांवों के 86 परिवारों के विस्थापन का प्रस्ताव है। इस दिशा में कसरत चल रही है। इसमें टिहरी जिले के डौंर गांव से 11, चमोली के सरपाणी, सूना कुल्याड़ी व झलिया से 30, रुद्रप्रयाग के गिरीया, पांजणा व छातीखाल से 15, उत्तरकाशी के बग्यालगांव से एक व पिथौरागढ़ के गगुर्वा तोक स्यारी, सानीखेत व धामीगांव से 29 परिवारों का विस्थापन शामिल है। मंत्री आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील गांवों के प्रभावित परिवारों के विस्थापन को लेकर सरकार गंभीर है। इसे लेकर तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। कोशिश ये है कि ज्यादा से ज्यादा प्रभावित परिवारों का विस्थापन हो। इसके लिए बजट की व्यवस्था को केंद्र सरकार से भी आग्रह किया जा रहा है।