आपदा के 1 महीने बाद भी पटरी पर नहीं लौटे प्रभावित गांव

चमोली। बीती सात फरवरी को चमोली के ऋषिगंगा में आए जलप्रलय को एक माह से अधिक बीत चुका है। लेकिन अभी तक आपदा प्रभावित गांव में व्यवस्था बेहतर नहीं हो पाई है। लोग आवाजाही करने के अलावा अन्य चीजों को लेकर परेशान हैं। हालांकि शुरूआती दिनों में तेजी से हुए रेस्क्यू कार्य अब धीमा होने लगा है। तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की टनल में मलवा हटाने और लापता लोगों को रेस्क्यू के लिए टीम लगातार प्रयास कर रही थी, लेकिन यहां भारी मात्रा में पानी का रिसाव समस्या बन गई। मलबा हटाने से पहले पानी को बाहर निकालना रेस्क्यू टीम के लिए परेशानी बढ़ा रहा है। ऋषिगंगा में आए जलप्रलय को एक माह का समय हो गया है। लेकिन अभी तक टनल के अंदर मौजूद व्यक्तियों की खोज पूरी नहीं हो पाई है। टनल के अंदर से पानी के रिसाव के चलते मलबा हटाना जोखिम भरा कार्य साबित हो रहा है। यही कारण है कि रेस्क्यू टीम जिस गति से टनल में बढऩी चाहिए थी वह नहीं बढ़ पाई है। अभी तक टनल में 200 मीटर ही मलबा हटाया जा सका है। ऋषिगंगा में आए जलप्रलय से एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना में भारी तबाही मची थी। इस टनल में 34 लोग फंसे हुए थे। इनमें से अभी तक 14 शव निकाले जा चुके हैं। रेस्क्यू को लेकर जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे बाधाएं बढ़ रही है। इस आपदा में कुल 205 लोग लापता थे। जिनमें से अभी तक 72 शव व 31 मानव अंग ऋषिगंगा, धौली गंगा व अलकनंदा के किनारे, रैंणी में ऋषिगंगा के मलबे व एनटीपीसी की परियोजना टनल में मिल चुके हैं। इनमें से 43 शवों व एक मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है। 58 शवों व 28 मानव अंगों का 110 परिजनों के साथ डीएनए सैंपल मिलान के लिए भेजा गया है। प्रशासन ने 38 मृतकों के स्वजनों, 12 घायलों, एक परिवार सहित एक अन्य को गृह अनुदान मुआवजा राशि जारी की गई है।
ऋषिगंगा में आए जलप्रलय में लापता व्यक्तियों के स्वजनों को आज भी उनके लौटने का इंतजार है। तपोवन निवासी भरत बिष्ट का कहना है कि उनके निकट रिश्तेदार आपदा में लापता हैं। लापता व्यक्तियों में रिंगी निवासी नवीन की मां लक्ष्मी देवी भी शामिल हैं। नवीन को आज भी मां के लौटने का इंतजार है। ग्राम प्रधान ङ्क्षरगी विनोद नेगी का कहना है कि जल विद्युत परियोजना के क्रशर साइड में 23 वर्षीय मनोज नेगी तैनात था। जो लापता है। परंतु एनटीपीसी ने लापता कर्मचारी के स्वजनों की सुध भी नहीं ली है।

भूस्खलन व भू-धंसाव से नई मुसीबत
धौली गंगा के किनारे बसे गांवों में धौली गंगा व ऋषि गंगा से कटाव के चलते अस्तित्व का खतरा भी मंडरा रहा है। इन गांवों में भूस्खलन रोकथाम के लिए अभी कोई कार्ययोजना ही नहीं बनी है। ऋषिगंगा में आए जल प्रलय से रैंणी, तपोवन, भंग्यूल, गैर, जुगजू, जुआग्वाड़ सहित कई गांव ऐसे हैं जहां नदी के कटाव से लगातार भू धंसाव हो रहा है। इन गांवों को बचाने के लिए एक बड़े ट्रीटमेंट कार्ययोजना की जरूरत है। लेकिन गांवों में फिलहाल प्रशासन राहत एवं बचाव कार्य कर गांव तक आवाजाही सुचारु करने तक ही सीमित है। अभी तो नदी का जल स्तर घटने से गांवों को खतरा नहीं है। लेकिन मानसून के दौरान इन गांवों में भूस्खलन, भू धंसाव से नई मुसीबत आ सकती है।


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