आजीविका द्वारा दी गई बकरियों के मरने का मामला नहीं थमा

बागेश्वर। तहसील के लौबांज क्षेत्र में बकरियों के मरने का मामला अभी थमा नहीं है। अब नौटा-कटारमल क्षेत्र में भी आजीविका द्वारा दी गई बकरियां दम तोडऩे लग गई हैं, जिससे पशुपालकों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। आक्रोशित ग्रामीणों ने आजीविका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। मांग पूरी न होने पर उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन योजना के तहत आजीविका परियोजना ने लौबांज न्याय पंचायत के कई गांवों में 17.40 लाख की लागत से 180 गरीब परिवारों को एक माह पूर्व जौनपुर, राजस्थान से बकरियां लाकर वितरित की थीं, लेकिन एक महीने में ही बकरियां बीमार पडऩे लगीं। देखते ही देखते अब तक लौबांज क्षेत्र में साठ बकरियां मर चुकी हैं। अब नौटा-कटारमल क्षेत्र में भी बकरियां मरने लगी हैं। यहां गरीब पशुपालक हरीश जोशी की दो, बलवंत सिंह की एक बकरी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कत्यूरी सिमार में नैन राम व आनंद राम की भी एक- एक बकरी ने दम तोड़ दिया है। उधर, रतमटिया गांव में भी लछम राम की दो और बकरियों की मौत हो गई है। घटना से क्षेत्र में आजीविका के खिलाफ आक्रोश है। कौसानी की जिपंस सुनीता आर्या, एडवोकेट जेसी आर्या, लौबांज के ग्राम प्रधान मनोहर अलमिया,एडवोकेट उमेश पांडे, हरीश भट्ट, क्षेपंस भोला दत्त तिवारी, शंकर दत्त जोशी आदि ने आजीविका के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने, प्रभावित पशुपालकों को मुआवजा दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बकरियों के बेचने के बाद जो पैसे मिलते हैं उससे हमारी आजीविका चलती है।

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