कैसे लगेगा दलालों के गोरखधंधे पर अंकुश.. ?

दून अस्पताल की इमरजेंसी में पकड़े दलाल को चंद मिनटों में छोड़ा

देहरादून। दून अस्पताल की इमरजेंसी में दलालों की सक्रियता फिर से बढ़ गई है। अस्पताल प्रबंधन एवं पुलिस में समन्वय नहीं होने एवं कुछ डॉक्टरों एवं स्टाफ की सांठगांठ होने के चलते इस गोरखधंधे पर अंकुश नहीं लग पा रहा है और गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों के दलाल गुमराह कर ले जा रहे हैं। इन निजी अस्पतालों में मोटी रकम वसूली जाती है। बुधवार-गुरुवार मध्य रात्रि को करीब दो बजे एक दलाल को मरीज के तीमारदारों को गुमराह कर निजी अस्पताल में ले जाने को दबाव बनाते पकड़ लिया गया। दलाल को पुलिस को सौंप दिया गया, लेकिन कुछ देर में ही उसे छोड़ दिया गया। अब अस्पताल प्रबंधन एवं पुलिस में इसे लेकर तकरार हो गई है। पुलिस का तर्क है कि अस्पताल ने तहरीर नहीं दी। पिछले मामलों में भी ऐसा ही रवैया अस्पताल प्रबंधन का रहा है। अस्पताल के अफसर या संबंधित डॉक्टर तहरीर नहीं देते हैं।
डिप्टी एमएस डा. धनंजय डोभाल का कहना है कि सुरक्षा कर्मियों और पीआरओ सेल के कर्मचारियों ने तीमारदारों को गुमराह कर रहे एक युवक को पकड़ा था। जिसे पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस को उसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। यदि तहरीर आदि की बात थी तो उनसे संपर्क किया जा सकता था। एमएस ऑफिस रात को बंद रहता है, सुबह तहरीर दी जा सकती थी। ऐसे इन संदिग्ध व्यक्तियों के हौंसले बढ़ेंगे। युवक की फोटो भी उपलब्ध है। उधर, दून अस्पताल की चौकी के प्रभारी केके सिंह ने बताया कि बिना लिखित तहरीर के पुलिस कस्टडी में किसी को नहीं रखा जा सकता है। मामले में तहरीर देने को कहा गया था, लेकिन नहीं दी गई।

सिस्टम में सांठगांठ से दलालों की चांदी
दून अस्पताल से मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाने को लेकर इन दलालों से कई डॉक्टरों एवं कर्मचारियों की सांठगांठ सामने आई है। वहीं, पुलिस द्वारा भी इन पर कार्रवाई नहीं की जाती। पूर्व में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना की ओर से इमरजेंसी के दो डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी इसी तरह की संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने के चलते की है। दलाल विभिन्न निजी अस्पतालों के रहते हैं, जो मरीजों को सरकारी अस्पताल में अच्छा इलाज नहीं मिलने, आईसीयू नहीं होने को लेकर गुमराह करते हैं। गरीब मरीजों को मोटी फीस निजी अस्पतालों में देनी पड़ती है।
सूत्रों ने बताया कि दून, कोरोनेशन अस्पताल के बाहर कई निजी अस्पतालों ने अपने दलाल छोड़े हैं। जो मरीजों के तीमारदारों को गुमराह करते हैं, कई तो एप्रन तक पहनकर यहां घूमते रहते हैं, अपने आप को मेडिकल स्टाफ बताकर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं। स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस द्वारा उचित कार्रवाई नहीं होने से इनके हौसलें बुलंद है।