विधानसभा सत्र में भू-कानून हेतु विधेयक नहीं आने पर जताई नाराजगी
देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ ने भू-कानून की मांग को लेकर डीएम के माध्यम से सीएम और राज्यपाल को ज्ञापन भेजा। इस विधानसभा सत्र में विधेयक सदन के पटल पर नहीं रखने पर नाराजगी जताई। ज्ञापन के जरिये बताया कि प्रदेश सरकार की गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर भू-कानून को विधानसभा में पारित कराया जाए। सरकार भू-कानून को लेकर गंभीरता दिखाए। उत्तराखंड में सख्त भू-कानून, बंदोबस्ती व्यवस्था और भूमि चकबंदी से सामाजिक सुरक्षा का घेरा मजबूत बनाया जा जाए। पर्वतीय जिलों में उद्योग संचालित नहीं हो रहे हैं। राज्य के संसाधनों पर दूसरे राज्यों के लोगों का हस्तक्षेप और प्रभाव बढ़ रहा है। इससे उत्तराखंड की विशिष्ट पहचान, संस्कृति, भाषा, रहन-सहन पर असर पड़ रहा है। ज्ञापन देने वालों में संस्थापक एवं संरक्षक मनोज ध्यानी, महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष आशानौटियाल, देहरादून बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मदन सिंह रावत, कमला कंडारी, रेखा नेगी, ऊषा रावत आदि शामिल थे।
ये मांगें उठाई
-पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा समाप्त करने वाले संशोधन के बिंदुओं को खारिज किया जाए।
-पूर्वोत्तर के हिमालयी राज्यों की तरह संस्कृति, बोली-भाषा के आधार पर उत्तराखंड को विशेष अधिकार मिलें।
-हिमालय की तर्ज पर भू-कानून लागू हो। जिन्हें उत्तराखंड में 30 साल हो गए हों, वही लोग भूमि खरीद सके।
-पलायन रोकने के लिए भूमि बंदोबस्ती और चकबंदी कानून उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में लागू किया जाए।