पर्यावरण और प्रदूषण मानदंडों से नहीं किया जा सकता समझौता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तथ्यात्मक गलतफहमी के लिए पर्यावरण और प्रदूषण मानदंडों से समझौता नहीं किया जा सकता है। जनहित में प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं हो सकता है कि प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ जनहित में कार्रवाई की जरूरत है। यह उन औद्योगिक इकाइयों पर भी समान रूप से लागू होता है जो लंबे समय से चालू है। एनजीटी ने कहा था कि नैनीताल के एक गांव में दो स्टोन क्रशर से जुड़े मामले में पारित आदेश के आलोक में इससे संबंधित एक अन्य आवेदन में निर्णय देने की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, तथ्यात्मक गलतफहमी पर पर्यावरण और प्रदूषण मानदंडों के पालन से समझौता नहीं किया जा सकता है। ऐसा निर्णय जिसका स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार पर सीधा प्रभाव पड़ता है उसका निश्चित रूप से परीक्षण किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि एनजीटी को स्टोन क्रशर से स्थानीय आबादी    पर पढऩे वाले प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव की शिकायत पर गौर करना चाहिए था।