कृषि विज्ञान केंद्र शिमला को ज़ोनल कार्यशाला में तीसरा स्थान हासिल
आरएनएस ब्यूरो सोलन। डॉ. वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के अंतर्गत आने वाले जिला शिमला के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने ज़ोन 1 की वार्षिक कार्यशाला में तीसरा पुरस्कार जीतकर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। शिमला जिला का कृषि विज्ञान केंद्र रोहड़ू में स्थित है। जोन 1 में पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के 69 कृषि विज्ञान केंद्र शामिल हैं। जोनल स्तर पर केवीके कुलगाम ने पहला और केवीके रोपड़ ने दूसरा स्थान हासिल किया। इस पुरस्कार की घोषणा आईसीएआर के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), लुधियाना द्वारा आयोजित जोन -1 की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला में किया गया। कार्यशाला का आयोजन ऑनलाइन रूप से किया गया। पिछले वर्ष केवीके द्वारा आयोजित गतिविधियों पर एक प्रस्तुति केवीके कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एनएस कैथ द्वारा कार्यशाला के दौरान दी गई। केवीके शिमला ने पिछले कई वर्षों में किसानों तक अपनी पहुंच को बेहतर बनाने के लिए कई पहल की हैं। केवीके शिमला की विभिन्न गतिविधियों में जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के तहत मध्य पहाड़ियों में आमदनी बढ़ाने के लिए सेब के रंगीन उपभेदों की खेती की शुरुआत,फसल विविधता के क्षेत्र में ढिंगरी और विदेशी सब्जियों की खेती और कृषि वाणी पत्रिका का प्रकाशन प्रमुख है। इसके अलावा सेब में स्कैब और अन्य रोगों के नियंत्रण के लिए केवीके की विस्तार गतिविधियां और किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। मधुमक्खी पालन और नर्सरी उत्पादन में उद्यमियों के विकास के साथ-साथ स्थान आधारित फसल विविधीकरण को भी यह केंद्र बढ़ावा दे रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने केवीके शिमला के प्रभारी डॉ एनएस कैथ और वैज्ञानिक डॉ इबजनाईकुर्बा और डॉ बंदना सहित समस्त स्टाफ को बधाई दी। उन्होंने कहा कि केवीके किसानों की सेवा में बहुत अच्छा काम कर रहा है और इसे आगे भी इस दिशा में प्रयास करता रहेगा। निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. देवेंद्र गुप्ता और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों ने भी केवीके टीम को बधाई दी।