आखिर कहां से आया कोरोना! बाइडन ने खुफिया एजेंसियों को दिये 90 दिन में पता लगाने के निर्देश

वाशिंगटन। कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन से हुई या नहीं, इसका पता लगाने के लिए अमेरिका ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसियों से कहा कि वह कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर प्रयास और तेज करें। बाइडन ने एजेंसियों को कहा है कि 90 दिन के भीतर वायरस की उत्पत्ति स्थल का पता करके रिपोर्ट दें। उन्होंने कहा कि कोरोना किसी संक्रमित पशु से संपर्क में आने से इंसानों में फैला या इसे किसी प्रयोगशाला में बनाया गया, इस सवाल पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। राष्ट्रपति ने चीन से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग करे। उन्होंने अमेरिकी प्रयोगशालाओं को भी जांच में सहयोग करने को कहा। जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका दुनियाभर में समाना विचारधारा वाले अपने सहयोगियों के साथ मिलकर चीन पर एक समग्र, पारदर्शी, सबूत आधारित अंतरराष्ट्रीय जांच और प्रासंगिक आंकड़े और साक्ष्य पेश करने के लिए दबाव डालेगा। हालांकि, उन्होंने इस बात की भी संभावना जताई कि पूर्ण सहयोग प्रदान करने में चीनी सरकार के इनकार से हो सकता है कि कभी भी कोई निष्कर्ष ना निकल सके। अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा ने भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच का अगला चरण अधिक पारदर्शी और विज्ञान-आधारित होना चाहिए। दोनों नेताओं ने जांच की बात उन खबरों के बीच की है जिसमें वायरस के चीन की किसी प्रयोगशाला से निकलने की आशंका जताई गई है।
कुछ दिन पहले ही अमेरिका के ‘वॉल स्ट्रीट जर्नलÓ में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के खुलासे से कुछ सप्ताह पहले नवंबर 2019 में वुहान विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला के तीन शोधकर्ताओं ने उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने को कहा था। इसमें यह भी कहा गया कि अप्रैल 2012 में छह खनिक एक खदान में जाने के बाद कोरोना जैसी रहस्यमय बीमारी से बीमार पड़ गए थे। यह खदान दक्षिण पश्चिम चीन के पहाड़ों में स्थित एक गांव के बाहर स्थित है। डब्ल्यूआईवी के शीर्ष शोधार्थियों ने इसकी जांच की थी।
चीन ने उस अमेरिकी रिपोर्ट को खारिज किया है जिसमें दावा किया गया है कि वायरस चीनी प्रयोगशाला से आया हो सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि वुहान विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला में 30 दिसंबर 2019 से पहले कोई भी कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आया था। प्रवक्ता ने प्रयोगशाला में तीन लोगों के बीमार होने का दावा करने वाली रिपोर्ट को झूठ बताया।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदानोम गेब्रिएसस ने भी इसको लेकर सहमति व्यक्त की है कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर आगे और अध्ययन की आवश्यकता है। उधर, व्हाइट हाउस के वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक डॉ. एंथनी फाउची ने हाल ही में कहा कि वह कोरोना वायरस के प्राकृतिक उत्पत्ति के बारे में आश्वस्त नहीं है, इसलिए जांच होनी चाहिए। इसके पहले गत मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर चीन के वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से लिखी गई एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया था कि इसके किसी प्रयोगशाला में शुरू होने की संभावना बेहद कम है। हालांकि डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों के चीन में महामारी के केंद्र वुहान सहित अन्य स्थानों पर अभियान को जिस तरह से संचालित किया गया, उसको लेकर तथा बीजिंग से पर्याप्त सहयोग की कमी को लेकर अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने चिंता जताई है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने यह प्रश्न टाल दिया कि उनका देश वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान (डब्ल्यूआईवी) से कोरोना के लीक होने संबंधी आरोपों की स्वतंत्र जांच की अनुमति देगा या नहीं। उधर, चीन के शोधार्थियों ने दावा किया है कि यह संक्रमण पैंगोलिन (एक प्रकार की छिपकली) से मनुष्य तक पहुंचा। डब्ल्यूआईवी और चीनी विज्ञान अकादमी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओ ने पिछले शुक्रवार को एक रिपोर्ट में इस बात का खंडन किया कि वायरस प्रयोगशाला से निकला है। इनमें शी झेंगली शामिल हैं जिन्हें चमगादड़ों पर शोध के लिए चीन की ‘बैट वूमेनÓ कहा जाता है। वुहान विश्वविद्यालय के विषाणु विज्ञान विशेषज्ञ यांग झानक्यू ने कहा कि कोरोना वायरस के स्वरूप पैंगोलिन में मिले हैं, जो मनुष्यों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस से करीब हैं।

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