
उज्जैन 02 मार्च (आरएनएस)। ज्योर्तिलिंग महाकाल मंदिर में बुधवार ती मार्च से शिवरात्रि उत्सव का उल्हास छाएगा। महाािवात्रि तक नौ दिन तक भगवान का नौ रूपों में आकर्षक श्रृंगार होगा। शिवरात्रि में भोग आरती और संध्या पूजन का समय भी बदल जाएगा। मंदिर की परंपरा के अनुसार कोटितीर्थ कुंड के समीप श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में शिवपंचमी के पूजन के साथ शिवरात्रि की शुरुआत होगी। सुबह आठ बजे पुजारी श्री कोटेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन कर हल्दी चढ़ाएंगे। करीब एक घंटे के पूजन के उपरांत सुबह साढ़े नौ बजे से गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी। पुजारी पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चन करेंगे। इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश-एकादशिनी रुद्र पाठ किया जाएगा। इसके बाद दोपहरएक बजे भेाग आरती होगी। दोपहर तीन बजे भगवान महाकाल की संध्या पूजा के पश्चात श्रृंगार किया जाएगा। पूजन का यह क्रम महाशिवरात्रि तक नौ दिन चलेगा। नौ दिन इन रूपों में होगा श्रृंगार – पहला दिन महाकाल का चंदन सोला व दुपट्टे के रूप में नवीन वस्त्र धारण कराएंगे। मुकुट मुंडमाल और छत्र आदि आभूषण से श्रृंगार होगा। दूसरा दिन- शेष नाग श्रृंगार, तीसरा दिन-घटटोप श्रृंगार, चौथा दिन- छबीना श्रृंगार, पांचवा दिन – होलकर रूप में श्रृंगार, छठा दिन – मनमहेश रूप में श्रृंगार, सातवां दिन- उमा-महेश श्रृंागर, आठवां दिन-शिवतांडव रूप में भगवान का श्रृंगार किया जाएगा। महाशिवरात्रि – सप्तधान रूप में श्रृंगार कर शीश पर सवा मन फल व फूल से बना सेहरा सजाया जाएगा।