
देहरादून (आरएनएस)। उत्तराखंड में बिना टीईटी नियुक्त बेसिक शिक्षकों के मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को धामी कैबिनेट की बैठक में इस पर सहमति बनी। बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मामला रखा और बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से प्रदेश के हजारों शिक्षक असमंजस की स्थिति में हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बेसिक शिक्षकों के लिए टीईटी की पात्रता अनिवार्य कर दी थी। इसके बाद से उत्तराखंड के लगभग 18 हजार बेसिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी तैनाती 2011 से पहले हुई थी और जिनके पास टीईटी की पात्रता नहीं है। इनमें शिक्षा मित्र से बेसिक शिक्षा में समायोजित शिक्षक भी शामिल हैं। अदालत ने उन शिक्षकों को तो राहत दी है जिनकी सेवानिवृत्ति में पांच साल से कम समय बचा है, लेकिन बाकी को दो साल के भीतर टीईटी परीक्षा पास करने का अवसर दिया है। समय सीमा में पात्रता हासिल न करने की स्थिति में उनकी सेवाओं पर संकट खड़ा हो सकता है।
कैबिनेट के फैसले के बाद प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का आभार जताया। शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह निर्णय असमंजस की स्थिति दूर करने में मददगार होगा। प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने बताया कि वह पहले ही पुनर्विचार याचिका की मांग को लेकर राज्यभर में ज्ञापन देने की तैयारी कर रहा था। संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा और महामंत्री जगवीर खरोला ने कहा कि संगठन 25 सितंबर को सभी जिलों से प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजेगा, ताकि संसद में अध्यादेश पारित कर शिक्षक हित में स्थायी समाधान निकल सके। अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुभाष चौहान ने कहा कि सभी नियुक्तियां उस समय की शर्तों के अनुसार हुई थीं, जब टीईटी आवश्यक नहीं था। ऐसे में अब सेवा दे रहे शिक्षकों पर अतिरिक्त परीक्षा का दबाव डालना अनुचित है।
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र रावत ने भी कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखेगी और पुनर्विचार याचिका से असमंजस की स्थिति समाप्त होगी।
शिक्षक संगठनों ने यह भी कहा कि टीईटी परीक्षा फिर से कराने में व्यावहारिक दिक्कतें हैं। प्रांतीय तदर्थ समिति के सदस्य मनोज तिवारी ने बताया कि टीईटी में आवेदन की अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष है, जबकि सेवारत कई शिक्षक इस सीमा से ऊपर हैं। वर्ष 2000 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए इंटर के बाद बीटीसी की योग्यता पर्याप्त थी, लेकिन अब स्नातक की शर्त और 45 फीसदी अंकों की अनिवार्यता लागू है। बीएड डिग्रीधारी और डीपीएड, बीपीएड, सीपीएड योग्यताधारी शिक्षक भी इस परीक्षा के लिए पात्र नहीं माने गए हैं। मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षक भी आवेदन नहीं कर सकते।
इन परिस्थितियों को देखते हुए कैबिनेट ने माना कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना आवश्यक है। अब सरकार विधिक राय लेकर आगे की कार्यवाही करेगी।