
देहरादून(आरएनएस)। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अतिथि शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने का मुद्दा उठाते हुए सरकार को घेरा है। पूर्व सीएम ने कहा कि एक तरफ सरकार अतिथि शिक्षकों को भर मानकर चलती है, दूसरी तरफ उन्हें ऐसे काम में झोंका जा रहा है, जहां उनको कोई पूछने वाला नहीं है। शनिवार को सोशल मीडिया में यह मुद्दा उठाते हुए रावत ने कहा कि यह वास्तविकता है कि अतिथि शिक्षक हमारे उत्तराखंड की शिक्षा का भार उठाए हुए हैं। दूसरी तरफ अब पंचायत चुनावों में उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है। नियमानुसार, उनकी ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है। यदि किसी के साथ ड्यूटी के दौरान कोई अनहोनी हो जाए तो उनको वह सुरक्षा राशि नहीं मिल सकती, जो अन्य को ऐसी स्थिति में मिलती है। यही नहीं उनकी ड्यूटी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के रूप में लगाई गई है, जबकि उनमें से अधिकांश शिक्षक प्रवक्ता, सहायक अध्यापक हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में उनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है, लेकिन वह इस मुद्दे को जरूर उचित मंच पर उठाएंगे। दरकते पहाड़ों का दर्द साझा किया पूर्व सीएम रावत ने अल्मोड़ा जिले में पहाड़ी से हो रहे लैंड स्लाइड का एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि इन दरकते पहाड़ों के लिए भारी निर्माण जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि दरकते, टूटते पहाड़ हमारी अंधाधुंध जेसीबी, पोकलैंड और एक्सक्लूसिव आधारित सड़क कटान की नीति का भी परिणाम हैं। अल्मोड़ा में पहलजे क्वारब की पहाड़ी दरकी। अब एक नए स्थान पर पहाड़ दरक रहा है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही लोगों का पीएम मोदी पर बना विश्वास भी दरक रहा है।





