
देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड में भाजपा सरकार की ओर से खेल परिसरों के नामकरण के बाद प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इसे खेल स्टेडियमों का नाम बदलने की शुरूआत बताकर विरोध शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में पार्टी इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी। शुरूआत राज्यपाल के यहां दस्तक के साथ होगी। पार्टी नेताओं ने इस इसे युवाओं की खेल भावना और राज्य की समावेशी परंपरा के विरुद्ध बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार कांग्रेस के समय में बने स्टेडियमों का नाम बदल कर वाहवाही लूटना चाहती है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रदेश के विभिन्न खेल परिसरों के नाम बदलने के निर्णय की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि परिसरों के नामों में किए गए परिवर्तन न केवल इतिहास और मूल प्रेरणा को मिटाने का प्रयास हैं, बल्कि यह सरकार की अलोकतांत्रिक मानसिकता को भी उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि खेल परिसर केवल ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं होते, बल्कि वे युवाओं के सपनों और प्रेरणाओं के प्रतीक होते हैं। ऐसे परिसरों के नामों से उन महान नेताओं की स्मृतियां जुड़ी होती हैं, जिन्होंने देश के विकास और युवाओं के उत्थान में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने प्रदेश सरकार से अविलंब इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
हर स्टेडियम के निर्माण के पीछे एक इतिहास और प्रेरणा है : हरीश रावत
प्रदेश में स्टेडियम के नाम परिवर्तन पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी एतराज जताया है। उन्होंने कहा कि हर स्टेडियम के निर्माण के पीछे एक इतिहास और प्रेरणा है। आज बड़ी तकलीफ हो रही है कि उन स्टेडियमों का नाम पीछे रह जाए, इसके लिए नाना प्रकार के प्रपंच किए जा रहे हैं। उन्होंने कि हमें किसी नाम से आपत्ति नहीं है, यदि सरकार को कुछ अच्छे नाम रखने हैं तो उसके लिए सरकार को नई खेल अवस्थापनाएं विकसित करनी चाहिए। सरकार खेल यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है, उसका नाम मानस खंड खेल यूनिवर्सिटी कर दीजिए। उन्होंने हरिद्वार में कांग्रेस की ओर से वंदना कटारिया खेल स्टेडियम के बाहर कार्यकर्ताओं की ओर से किए जा रहे धरना प्रदर्शन का समर्थन किया है।