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मुफ्त राशन लेने वालों सावधान! लाभार्थियों के डेटा साझा करने जा रहा आयकर विभाग

RNS INDIA NEWS 05/02/2025
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 नई दिल्ली। कोविड काल से ही मुफ्त राशन ले रहे लोगों के लिए बड़ी खबर है। आयकर विभाग ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ के तहत गलत तरीके से लाभ उठा रहे लोगों को लाभार्थियों की लिस्ट से हटाने के लिए खाद्य मंत्रालय के साथ वित्तीय डेटा साझा करेगा। पीएमजीकेएवाई के तहत उन गरीब परिवारों को मुफ्त राशन दिया जाता है जो आयकर का भुगतान नहीं करते हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में पीएमजीकेएवाई के लिए 2.03 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो चालू वित्त वर्ष के 1.97 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से अधिक है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को देश में कोविड-19 महामारी से हुए आर्थिक गतिरोधों के कारण गरीबों और जरूरतमंदों को होने वाली मुश्किलें कम करने के विशिष्ट उद्देश्य से शुरू किया गया था। हालांकि, सरकार ने पीएमजीकेएवाई के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण की अवधि एक जनवरी, 2024 से पांच साल के लिए बढ़ा दी है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक कार्यालय आदेश में कहा है कि आयकर महानिदेशक (सिस्टम) को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के संयुक्त सचिव को जानकारी देने का अधिकार होगा।
आंकड़ा साझा करने की व्यवस्था के मुताबिक, डीजीएलटी (सिस्टम), नयी दिल्ली को डीएफपीडी कर निर्धारण वर्ष के साथ आधार या पैन नंबर मुहैया कराएगा। यदि पैन दिया गया है या दिया गया आधार पैन से जुड़ा हुआ है, तो डीजीआईटी (सिस्टम) आयकर विभाग के डेटाबेस के अनुरूप निर्धारित आय के संबंध में डीएफपीडी को जवाब देगा। यदि लाभार्थी का आधार नंबर आयकर डेटाबेस में किसी भी पैन से नहीं जुड़ा है, तो डीजीआईटी (सिस्टम) इसकी सूचना डीएफपीडी को देगा। इस तरह के जवाब और सूचना के लेनदेन का तरीका डीजीएलटी (सिस्टम) और डीएफपीडी तय करेंगे। सूचना पेश करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए डीजीआईटी (सिस्टम) डीएफपीडी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) करेगा। एमओयू में डेटा के हस्तांतरण का तरीका, गोपनीयता बनाए रखना, डेटा के सुरक्षित संरक्षण के लिए तंत्र, उपयोग के बाद छंटाई आदि शामिल होंगे।

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