उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष स्व. रतूड़ी को दी श्रद्धांजलि

देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड क्रांति दल समेत विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष बीडी रतूड़ी को श्रद्धांजलि दी। रविवार को कचहरी स्थिति शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। विभिन्न संगठनों ने बीडी रतूड़ी की आत्मा की शांति के लिए शहीद स्मारक के समीप मौन रखा। आयोजित सभा में राज्य आंदोलनकारी लताफत हुसैन ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन की शुरुआत बेशक स्व. इंद्रमणि बडोनी ने पौड़ी से की थी। लेकिन आंदोलन का दूसरा और सबसे सशक्त चरण देहरादून में शुरू हुआ। स्व. बीडी रतूड़ी के आह्वान पर इसी जगह पर जहां अब यह शहीद स्थल है, आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हुआ था। इसमें पूरे राज्य में उत्तराखंड राज्य आंदोलन को गति दी। उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि बेशक स्व. रतूड़ी ने उत्तराखंड राज्य के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया, लेकिन राज्य की मौजूदा स्थिति से वे बेहद निराश थे। मौके पर उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, सर्वोदय मंडल के बिज्जू नेगी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपालन, उत्तराखंड मसीह समाज के एसएस चौहान, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, उमा भट्ट, एनएपीएसआर के आरिफ खान, मैड के आशीष, सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के सुरेंद्र सिंह सजवाण, सीपीआई-एमएल के इंद्रेश मैखुरी, कांग्रेस के याकूब खान आदि मौजूद थे।

रतूड़ी का निधन उत्तराखंड के लिए क्षति: पंवार
उक्रांद की ओर से आयोजित सभा में दल के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा कि रतूड़ी ने अपना राजनीतिक जीवन उक्रांद के जिलाध्यक्ष देहरादून के पद से प्रारंभ किया, तब उन्होंने स्व. इन्द्रमणि बडोनी, डा. डीडी पंत, स्व. विपिन त्रिपाठी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उत्तराखंड आंदोलन का विगुल फूंका। उत्तराखंड राज्य के इतिहास में रतूड़ी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाएगा। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र कुकरेती ने कहा कि रतूड़ी अपने मधुर स्वभाव और सांगठनिक कार्य कुशलता के लिए जाने जाते थे। मौके पर केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पंकज व्यास, जयप्रकाश उपाध्याय, किरण रावत कश्यप, शांति प्रसाद भट्ट, रेखा मियां, विजय बोडाई, सुनील कोटनाला, विजेंद्र रावत, केंद्रपाल टोपवाल आदि मौजूद थे।