
वार्ता की पेशकश के साथ जारी रखेगी कानून के समर्थन में अभियान
जरूरत पडऩे पर वार्ता समर्थक किसान संगठनों से करेगी बातचीत
फिलहाल देखो और इंतजार करो की रणनीति पर आगे बढऩे की योजना
नई दिल्ली (आरएनएस)। कृषि कानूनों पर सरकार और किसान संगठनों के बीच जारी खींचतान का दौर जल्द खत्म होने वाला नहीं है। सरकार की योजना आंदोलनरत किसान संगठनों को वार्ता की पेशकश करते रहने के साथ इन कानूनों के समर्थन में अभियान चलाना जारी रखने की है। इस बीच जरूरत महसूस होने पर सरकार वार्ता समर्थक किसान संगठनों से बातचीत कर सकती है। हालांकि सरकार की योजना फिलहाल अपनी ओर से हड़बड़ी दिखाने की नहीं है।
सरकार के एक मंत्री के मुताबिक किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत की संभावना नहीं बन पा रही है। सरकार न तो किसी कीमत पर कानून वापस लेने के लिए राजी होगी और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देगी। जबकि आंदोलनरत किसान संगठनों की मुख्य मांगें यही हैं। जाहिर तौर पर वार्ता की मेज पर आने के लिए दोनों पक्षों में से एक को अपने रुख में नरमी लानी होगी। फिलहाल दूर दूर तक इसके आसार नहीं हैं।
फिलहाल जारी है माइंड गेम
करीब एक महीने से जारी आंदोलन के दौरान पांच दौर की बातचीत के बाद अब सरकार और किसान संगठनों के बीच माइंड गेम चल रहा है। दोनों पक्ष एक दूसरे के झुकने का इंतजार कर रहे हैं। सरकार की योजना किसानों को वार्ता की पेशकश करते रहने और इस दौरान देश भर में नए कृषि कानूनों के पक्ष में अभियान जारी रखने की है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह तो बातचीत के लिए तैयार है, मगर किसान संगठन अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।
क्या है सरकार की भावी रणनीति
सरकार इस मामले में हड़बड़ी दिखाने के मूड में नहीं है। सरकार को उम्मीद है कि आंदोलन लंबा खिंचने के बाद किसान संगठन दबाव में आएंगे। आंदोलन किसान संगठनों को दबाव में लाने के लिए सरकार वार्ता समर्थक किसान संगठनों से अलग से बातचीत कर सकती है। हालांकि इस मामले में भी सरकार हड़बड़ी में नहीं है। सरकार के रणनीतिकारों को लगता है कि नए कानूनों के समर्थन में चलाए जा रहे अभियान और सरकार के अपने रुख पर डटे रहने के संदेश के बाद किसान संगठन दबाव में आएंगे। दबाव में आने के बाद कानून वापसी और एमएसपी के इतर कानूनों के अन्य प्रावधानों पर बातचीत होगी।
फिलहाल किसान संगठन भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार
सरकार की तरह आंदोलनरत किसान संगठनो ने भी लंबी लड़ाई की तैयारी की है। करीब एक महीने से जारी आंदोलन में सरकार की इच्छा के अनुरूप बड़े मतभेद सामने नहीं आए हैं। किसान संगठन भी यह मान कर चल रहे हैं कि लड़ाई लंबी खिंचेगी। यह भी सच्चाई है कि किसानों में जमीनी स्तर पर पकड़ रखने वाले संगठनों में अब तक फूट नहीं पड़ी है। कानूनों के पक्ष में सरकार को समर्थन करने वाले किसान संगठनों का कोई मजबूत जमीनी आधार नहीं है।
एक -दो दिन मेंं बड़ी बैठक
भावी रणनीति तय करने के लिए सरकार में शीर्ष स्तर पर बुधवार या बृहस्पतिवार को अहम बैठक हो सकती है। गौरतलब है कि इस विवाद का हल निकालने के लिए कृषि मंत्री के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह को भी मोर्चे पर लगाया गया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार को मंगलवार को वार्ता के संदर्भ में किसान संगठनों से जवाब की उम्मीद थी। चूंकि किसान संगठनों की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं आया है। ऐसे में अगले एक-दो दिनोंं मेंं शीर्ष स्तर पर बैठक होगी।
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