दिल्ली की जहरीली हवा से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर, एक्सपर्ट्स का दावा

नई दिल्ली। दिल्ली की हवा दिन पर दिन खराब होती जा रही है। कई हिस्सों में एयर क्वालिटी गंभीर श्रेणी में है। लोगों को सलाह दी जा रही है कि अगर बहुत जरूरी ना हो तो घर से बाहर ना निकलें। एक्सपर्ट्स की मानें तो दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली गैस चेंबर बनती जा रही है और इसका सबसे असर बच्चों के मानसिक विकास पर हो रहा है। दिल्ली के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक सफदरजंग अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि स्वस्थ फेफड़ों के लिए जरूरी है कि एक्‍यूआई 60 से नीचे रहे।
सफदरजंग अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नीरज कुमार गुप्ता ने कहा, दिल्ली वासियों को ऐसी एयर क्वालिटी में सांस लेनी पड़ रही है, जो बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है और  जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। लोगों की भलाई के लिए एक्यूआई को 60 से नीचे रहना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एक्‍यूआई  पीएम 2.5 और पीएम 10 में कई ऐसे कण होते हैं जो सांस के जरिए हमारे शरीर के अंदर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और सांस संबंधी कई तरह की समस्याओं का कारण बनते हैं। इससे गंभीर बीमारियों, यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि ये चिंता की बात है कि दिल्ली एनसीआर के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 तक पहुंच गया है जबकि कई जगह 500 भी पार कर गया है।  उन्होंने हाल ही में की गई एक स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि ऐसा पाया गया है कि एयर क्लालिटी बच्चों के मानसिक विकास पर भी असर डालती है. जैसे जैसे एक्यूआई बढ़ता है,  वैसे वैसे बच्चों की मानसिक शक्ति कम होने लगती है।
उन्होंने दावा किया है कि दिल्ली में यह प्रदूषण बहुत ज्यादा है और इसमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड समेत कई तरह की गैसें भी मौजूद हैं, जो उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हैं जो पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। डॉक्टर ने कहा कि पलूशन के संपर्क में आने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा होता है।

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