करोड़ों की सरकारी जमीन कर दी दूसरे के नाम

रुड़की। सरकार की करोड़ों रुपये की जमीन सरकार को वापस दिलाने के लिए किसान सालों से चक्कर लगा रहा है। एसडीएम मामला चकबंदी का बताकर चकबंदी विभाग को भेजते हैं, तो वहां से किसान की अर्जी चकबंदी पूरी होने की रिपोर्ट के साथ वापस तहसील आ रही है। सालों से मामला यूं ही इधर से उधर हो रहा है। खानपुर की धर्मुपुर रुहालकी पंचायत ने 1983 में 18 बीघा जमीन का पट्टा गांव के वाल्मीकि परिवार को दिया था। यह जमीन तीन चार टुकड़ों में थी। जिसे पट्टा मिला था, उसने जमीन पर कब्जा नहीं लिया। एक दो साल बाद वाल्मीकि परिवार कहीं और चला गया। 1988 में लेखपाल ने खसरा खतौनी में वाल्मीकि के नाम की जगह गांव के दूसरे व्यक्ति का नाम लिख दिया। जलप्लावन के कारण तब जमीन की कोई पूछ नहीं थी। लिहाजा किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। 2009 में गांव चकबंदी में आया, तो विभाग ने इस जमीन का एक चक लगा दिया। जहां चक लगा, उसके बगल की जमीन पर सिडकुल लगना है। इसके बाद ग्रामीणों को इसकी सुध आई, तो धर्मुपुर के राजपाल ने जमीन वापस ग्रामसभा के नाम करने के लिए तहसील में प्रार्थनापत्र दिया। एसडीएम ने इसे चकबंदी में भेजा, तो उन्होंने चकबंदी पूरी होने की रिपोर्ट लगाकर अर्जी वापस तहसील को भेज दी। राजपाल हर बार तहसील दिवस में अर्जी लगाते हैं, लेकिन प्रार्थनापत्र इसी तरह कभी तहसील तो कभी चकबंदी कार्यालय में घूम रहा है।