6 साल से अधर में लटकी राज्य की पहली आईटी अकादमी

देहरादून। राज्य की पहली आईटी अकादमी हल्द्वानी में बनाने की योजना छह साल से अधर में लटकी है। आठ दिसंबर 2016 में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री इंदिरा हृदयेश ने उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी परिसर में आईटी अकादमी का शिलान्यास किया था मगर सरकार बदलने के बाद आईटी अकादमी का काम आगे नहीं बड़ा। बीते साल नवंबर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूओयू परिसर में ही आईटी अकादमी बनाने की घोषणा की थी। इसके बावजूद इसे वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है।
उत्तराखंड को आईटी का हब बनाने के लिए हल्द्वानी में राज्य की पहली आईटी अकादमी खोलने की योजना है। इस अकादमी को बनाने के लिए यूओयू ने प्रस्ताव और डीपीआर तैयार कर शासन को भेज दी है। अकादमी के निर्माण में करीब 22 करोड़ का खर्च आना है। फिलहाल ये प्रस्ताव शासन स्तर पर लटका हुआ है।

आईटी अकादमी बनने से होंगे कई फायदे
आईटी अकादमी बनकर तैयार होती है तो युवाओं के लिए आईटी सेक्टर में रोजगार के नये द्वार खुलेंगे। इसके जरिये स्कूल और कॉलेज की ऑनलाइन पाठ्य सामग्री तैयार की जा सकेगी। अकादमी में वीडियोंलेक्चर भी तैयार किए जा सकेंगे। इससे शिक्षा र्थी घर बैठे अपनी सुविधा के अनुसार यूट्यूब, वेब पोर्टल और मोबाइल एप के जरिये पढ़ाई कर सकेंगे। युवाओं और सरकारी कर्मचारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा सकेगा।

गांवों की भी बन सकेगी वेबसाइट
आईटी अकादमी बनती है तो उत्तराखंड के हर गांव की अपनी वेबसाइट भी बन पायेगी जिसमें गांव से संबंधित ब्योरा रखा जा सकेगा। गांव में क्या-क्या विकास कार्य हुए हैं, विकास कार्यों में कितना पैसा खर्च हो रहा है, गांव में कितने लोग आ रहे है, कितने माइग्रेट हो रहे हैं, कितने प्रवासी हैं और कितने लोग पढे़-लिखे हैं, ये सभी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेंगी। आईटी के माध्यम से गांव के अंतिम व्यक्ति को विकास से जोड़ने का प्रयास किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद आईटी अकादमी को वित्तीय स्वीकृति दिलाने का काम तेजी से हुआ है। इसका प्रस्ताव और डीपीआर तैयार कर शासन को भेज दी गई है। वित्तीय स्वीकृति मिलने की प्रक्रिया शासन स्तर पर गतिमान है।
ओम प्रकाश सिंह नेगी, कुलपति, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी

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