200 साल बाद कोटि गांव पहुंचे बाशिक महासू

विकासनगर। मैंद्रथ मंदिर से निकली बाशिक महासू महाराज की देव पालकी प्रवास के चौथे दिन कोटि पहुंची। करीब दो सौ साल बाद कोटी पहुंचने पर ग्रामीणों ने धार्मिक रीति रिवाजों के साथ पूजा अर्चना कर देवता का आशीर्वाद लिया। दो सौ साल बाद देव पालकी के गांव में पहुंचने पर ग्रामीणों में उत्साह के साथ ही आस्था का अपार सैलाब उमड़ पड़ा। गांव के एक रात्रि प्रवास के बाद देव पालकी हिवाई गांव के लिए प्रस्थान करेगी। बाशिक महासू महाराज की देव पालकी 15 मई को मैंद्रथ मंदिर से निकलकर पहले पड़ाव के लिए बाणाधार पहुंची। 16 और 17 मई को देव पालकी ने कनासर तप्पड़ में प्रवास किया।18 मई को देव पालकी दो सौ साल बाद एक दिन के प्रवास के लिए कोटि गांव पहुंची। देवता के प्रवास के लिए ग्रामीण एक साल से तैयारियों में जुटे थे। देव पालकी के पहुंचने पर आसपास के गांवों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने देव दर्शन किए। चार दिन की पद यात्रा के बाद बाशिक महासू देवता कोटि के साथ-साथ आसपास के कई खतों की गांवों के लोगों को दर्शन देकर उनके सुख दुख के साथी बने। देवता के प्रति लोगों की आस्था देखते ही बनती थी। बुधवार को चौथे दिन भी मैंद्रथ से कोटि गांव तक हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देव दर्शन के लिए लगी रही। श्रद्धालुओं ने रात भर जागरण कर देवता की अराधना की। कोटि के ग्रामीणों ने देव पालकी के साथ आए देव कारिंदों के लिए भंडारा आयोजित किया। देव पुजारी अभिराम ने बताया कि कोटि गांव में बाशिक महासू महाराज की देव पालकी दो सौ साल बाद पहुंची है। जिसके बाद पूरी रात लोक संस्कृति और देव स्तुतियों की मिश्रित स्वर लहरियां गूंजती रहीं। इस दौरान दीवान सिंह, दीवान चंद, जगमोहन सिंह राणा, विक्रम पंवार, आदित्य पंवार, जयपाल सिंह, मातवर सिंह, पूरण चंद्र, जयपाल राणा, जगत सिंही, सरदार सिंह, राहुल पुन, फतेह सिंह आदि मौजूद रहे।