भू कानून, मूल निवास से ध्यान हटाने को लाए यूसीसी: यशपाल

देहरादून(आरएनएस)।  यूसीसी को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भू कानून और मूल निवास की मांग से ध्यान हटाने वाला कदम बताया। कहा कि राजनीतिक लाभ को यूसीसी को लागू किया गया है। यूसीसी में लिव इन रिलेशन को मान्यता दी गई है। इसे सनातन बहुल जनसंख्या वाला उत्तराखंड कभी स्वीकार नहीं करेगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को इस समय अविलंब कठोर भू कानून और मूल निवास का स्थायी हल चाहिए था। सरकार ने इस महत्वपूर्ण विषय से ध्यान हटाने को समान नागरिक संहिता थोप दी है। कहा कि देश के किसी भी धर्म में लिव इन रिलेशन को मान्यता नहीं दी जाती है। फिर उत्तराखंड की सनातन बाहुल्य जनसंख्या वाले राज्य में तो लिव इन रिलेशन को बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। यूसीसी में लिव इन रिलेशन को मान्यता देकर सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का घनघोर अपमान किया है। यूसीसी बड़े डेमोग्राफिक परिवर्तन की साजिश भी है। यूसीसी राज्य के लोगों के साथ धोखा और षड़यंत्र है।
कहा कि यूसीसी में सभी धर्मों के लिए तलाक, विवाह विच्छेद को कठिन बना दिया गया है। दूसरी ओर लिव इन रिलेशन में रहने वाला कोई भी व्यक्ति कभी भी धारा 384 के तहत रजिस्ट्रार के समक्ष कथन प्रस्तुत कर संबंध समाप्त कर सकता है। कानून के इस दोहरेपन से उत्तराखंड में युगल शादी के स्थान पर लिव इन रिलेशन में रहना पंसद करेंगे।
कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी महिलाओं को लैंगिग समानता देने के उद्देश्य से लाया गया विधेयक है। लेकिन प्रदेश की एसटी आबादी को इस कानून के दायरे से बाहर रखा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस कथित समानता के अधिकार का अनुसूचित जनजाति की चार प्रतिशत जनसंख्या से संबध रखने वाली महिलाएं हकदार नहीं थी। आरोप लगाया कि, यूसीसी के माध्यम से बीजेपी विपक्ष को अल्पसंख्यक समुदाय के रूढ़िपरस्त नेतृत्व के साथ दिखाना था। ये संभव नहीं हो पाया। भाजपा को अंदेशा था कि अल्पसंख्यक समुदाय इसका विरोध करेंगे, इसका राजनीतिक लाभ भाजपा उठाएगी। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अल्पसंख्यक समुदाय की बजाय उत्तराखंड की सनातनी जनसंख्या जरूर लिव इन रिलेशन जैसे प्रविधानों का खुलकर विरोध कर रही है।

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