तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न, प्याज और लहसुन की खेती को लेकर हुई चर्चा

अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में 13 मई से शुरू हुई प्याज एवं लहसुन पर अखिल भारतीय नेटवर्क अनुसंधान परियोजना की 16वीं वार्षिक कार्यशाला का गुरुवार को समापन हो गया। यह कार्यशाला अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तत्वावधान में आयोजित की गई थी, जिसमें देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आए वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। समापन समारोह में अध्यक्षता पूर्व कुलपति डॉ. बीएसकेकेवी, जलगांव एवं पूर्व निदेशक डीओजीआर, पुणे, के. ई. लवांडे ने की। उन्होंने संस्थान के निदेशक लक्ष्मीकान्त, कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ और पूरी टीम को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने प्याज और लहसुन को किसानों की आय में वृद्धि का सशक्त माध्यम बताते हुए इनकी वैज्ञानिक खेती के विस्तार पर जोर दिया। तीन दिनों तक चली इस कार्यशाला में प्याज और लहसुन की उन्नत किस्मों के विकास, उत्पादन तकनीकों में सुधार, कीट एवं रोग प्रबंधन, विपणन रणनीतियों और अनुसंधान की दिशा तय करने पर गहन चर्चा हुई। आगामी तीन वर्षों के लिए तकनीकी कार्यक्रम तैयार किए गए जिनका उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक विधियों से जोड़कर उनकी आय में सुधार लाना है। कार्यशाला में छह प्रमुख सत्र आयोजित किए गए, जिनमें अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा, आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, फसल सुधार, उत्पादन और संरक्षण, तकनीकी कार्यक्रम निर्माण और कृषक संवाद शामिल रहे। विशेष सत्र में किसानों के साथ सीधा संवाद कर उन्हें नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया गया। समापन सत्र में संस्थान के निदेशक और कार्यशाला संयोजक लक्ष्मीकान्त ने इसे प्याज और लहसुन की खेती से जुड़े वैज्ञानिकों और हितधारकों के लिए एक प्रभावशाली मंच बताया। कार्यशाला के दौरान कुमाउँनी संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ, जिसने प्रतिभागियों को स्थानीय सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराया। आयोजन सचिव डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने सभी प्रतिभागियों, अध्यक्ष और समितियों को धन्यवाद देते हुए भविष्य में भी ऐसे ज्ञानवर्धक आयोजनों के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता दोहराई। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में देशभर से आए लगभग 150 वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और किसानों ने सहभागिता की और प्याज व लहसुन की खेती को और अधिक वैज्ञानिक और लाभकारी बनाने के लिए अपने सुझाव साझा किए।