
पौड़ी। एक तरफ मुहाने पर मानसून, तो दूसरी तरफ तहसीलों में अधिकारियों का टोटा। यह हाल कहीं और नहीं बल्कि मौजूदा समय में वीआइपी जनपद पौड़ी का है। जो न केवल मौजूदा मुख्यमंत्री का गृह जनपद है, बल्कि सूबे के वन मंत्री, पर्यटन मंत्री और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र भी इसी जनपद में आते हैं। ऐसे में कब यहां रिक्त चल रहे अधिकारियों के पदों पर तैनाती होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला पौड़ी जनपद शहरों के अलावा ग्रामीण परिवेश वाला है। लेकिन यहां कई तहसीलों में एसडीएम से लेकर तहसीलदारों की कमी लंबे समय से बनी हुई है। अब मानसूनी बारिश भी सता रही है तो अधिकारियों की कमी से पैदा हो रहे हालात भी समझे जा सकते हैं। आलम यह है कि एसडीएम पौड़ी के पास चाकीसैंण का अतिरिक्त जिम्मा है तो श्रीनगर एसडीएम के पास थलीसैंण का। कमोवेश यही हाल एसडीएम लैंसडौन का है, उनके पास लैंसडौन के अलावा धुमाकोट, रिखणीखाल तो एसडीएम चौबट्टंाखाल के पास सतपुली का जिम्मा है। वहीं तहसीलदारों के स्वीकृत 12 पदों के सापेक्ष मौजूदा समय में केवल तीन तहसीलदार ही तैनात है। साफ है कि एक-एक अधिकारी के पास अन्य क्षेत्रों की कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि राजकीय कार्यों के संपादन की जिम्मेदारी भी है।
ये है जनपद की मौजूदा तस्वीर
डिप्टी कलेक्टर के स्वीकृत पद- 9
रिक्त पद- 4
तहसीलदार के स्वीकृत पद- 12
रिक्त पद-9
नायब तहसीलदार के स्वीकृत पद- 15
रिक्त पद-8
जनपद में रिक्त चल रहे डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों की कमी के मामले में आयुक्त गढ़वाल मंडल को पत्र लिखा गया है। जनपद की विषम परिस्थितियों, कानून व्यवस्था व अन्य राजकीय कार्यों के संपादन में हो रही कठिनाईयों के ²ष्टिगत अधिकारियों की तैनाती की मांग की गई है।
-डा. विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल।





