वेतन-अनुदान में परिवर्तन और छेड़छाड़ करने का कड़ा विरोध
नई टिहरी। उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के वेतन-अनुदान में परिवर्तन और छेड़छाड़ करने का कड़ा विरोध किया है। संघ का कहना है कि सरकार लगातार अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के खिलाफ तुगलकी फरमान निकाले जा रहे हैं। इससे अशासकीय शिक्षकों में रोष है। सरकार के इस फैसले से शिक्षकों को आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष महादेव मैठाणी ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के खिलाफ तुगलकी फरमान जारी कर रही है। जिससे बेरोजगारों सहित शिक्षकों इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। कुछ समय पहले ही सरकार ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में 12 सौ पदों को समाप्त करने का आदेश जारी किया, जिससे बेरोजगारों पर कुठाराघात हुआ है। 12 सौ बेरोजगार रोजगार से वंचित हुए हैं। साथ ही पद न भरे जाने से इन स्कूलों के छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन भी बुरी तरह से प्रभावित होगा, लेकिन सरकार सभी हितों को दरकिनार कर मनमानी कर तुगलकी फरमानों को जारी करने का काम कर रही है। अब प्रदेश सरकार ने अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों के हजारों शिक्षकों के के वेतन पर डाका डालने का काम करते हुये नया फरमान जारी किया है। शिक्षा निदेशक के बीती 4 दिसंबर के जारी पत्र में जाहिर है कि हजारों शिक्षकों व उनके परिवारों पर वेतन बजट में छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है। वित्तीय संकट का बहाना बनाकर सरकार हजारों शिक्षकों को परेशान करने का काम कर रही है। संघ ने चेतावनी देते हुये कहा कि यदि सरकार ने शिक्षक विरोधी व बेरोजगार विरोधी फरमानों को निरस्त नहीं किया, तो सरकार के खिलाफ सडक़ों पर उतरने का मजबूर होंगे। साथ ही मांग की है कि 4 जनवरी, 2017 के शासनादेश को निरस्त कर पूर्व की भांति अशासकीय विद्यालयों को पूर्ण वेतन अनुदान सूची में यथावत रखने की मांग की। विरोध करने वालों में जिला मंत्री सुरेंद्र रावत, कोषाध्यक्ष देवेंद्र श्रीकोटी, सतीश थपलियाल, नवीन बडोनी, उत्तम सिंह नेगी, धनंजय रावत, विनोद विजल्वाण, विजेंद्र राणा, गिरधारी लाल, आराधना सहित दर्जनों शामिल रहे।