वीरान चट्टियां फिर होंगी आबाद

ऋषिकेश। राज्य में पुराने समय में चलने वाली पैदल चारधाम यात्रा को पुनर्जीवित करने की योजना अब जमीन पर उतरी है। पौड़ी जिला प्रशासन ने शनिवार को स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम से यज्ञ कर इसकी शुरुआत की है। इसका मकसद यात्रियों को पुराने समय की यात्रा के रोमांच के साथ ठहराव स्थलों (चट्टियों) के इतिहास से भी रूबरू कराना है। दरअसल, पुराने समय में हिमालयी चारधाम यात्रा नाम से यह यात्रा प्रचलित थी। आवागमन के लिए वाहन नहीं होने के चलते तीर्थयात्री पैदल ही चारधाम की यात्रा करते थे, जिसकी शुरुआत स्वर्गाश्रम जौंक के पास मोहन चट्टी से होती थी। चढ़ाई वाले यात्रा मार्ग पर यात्री बड़े कस्बों और वीरान पड़ावों पर विश्राम करते थे। इन्हीं पड़ावों को चट्टी कहा जाता है। इतिहासकार वंशीधर पोखरियाल के मुताबिक गंगोत्री- यमुनोत्री मार्ग पर फूल चट्टी, राणा चट्टी, सयानी चट्टी, हनुमान चट्टी व जानकी चट्टी का जिक्र है। बदरीनाथ मार्ग पर हुनमान चट्टी और केदारनाथ मार्ग में गरुड़चट्टी और जंगलचट्टी आदि मार्ग शामिल है। प्रदेश सरकार ने इसी के जरिए राज्य के धार्मिक और पुराने महत्व को पर्यटन से जोड़ने के लिए यह पहल की है।

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