उत्तराखंड में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ मस्जिदों से छेड़ा अभियान

देहरादून(आरएनएस)।  वक्फ संशोधन बिल को लेकर उत्तराखंड में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर जमीयत उलमा ए हिंद समेत कई मुस्लिम संगठनों की ओर से प्रदेशभर की मस्जिदों से अभियान शुरू कर दिया है। दून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल जिलों की मस्जिदों में इमामों एवं उलमा की ओर से इस पर तकरीर की जा रही है। लोगों से क्यूआर कोड स्कैन करा ईमेल के माध्यम से अपनी राय रखने को जागरूक कर रहे हैं। 13 सितंबर तक यह अभियान चलाया जाना है। दून में सोमवार को जमीयत उलमा ए हिंद की शहर इकाई की ओर से आजाद कॉलोनी की सईदिया मस्जिद, कारगी की जामा मस्जिद में जागरूकता अभियान चलाए गए। लोगों से क्यूआर कोड स्कैन कराकर राय जेपीसी (संयुक्त संसदीय कमेटी) को भेजी गई। वक्ता बोले, गरीबों के लिए बुजुर्गों ने अपनी संपत्तियां दान दी है। वक्फ संपत्तियों पर मस्जिद, मदरसे बने हैं। उनको कब्जे में लेने का प्रयास किया जा रहा है, जो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होगा। पुरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा। इस दौरान प्रदेश सचिव मौलाना अब्दुल मन्नान कासमी, जिला उपाध्यक्ष मास्टर अब्दुल सत्तार, शहर अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद अयाज, कारी शावेज, कारी राव आरिफ, हाजी तौसीफ खान, कारी सादिक, मोहम्मद हसन, मोहम्मद नाजिम आदि मौजूद रहे। उधर, जमीयत उलमा ए हिंद के साथ इमाम संगठन उत्तराखंड, मुस्लिम सेवा संगठन, तंजीम रहनुमा ए मिल्लत, मदरसा एसो. उत्तराखंड आदि संगठन साथ में आए हैं।

जमीयत की ओर से अपील जारी
जमीयत उलमा ए हिंद के प्रदेश प्रवक्ता हाफिज शाहनजर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर जमीयत उलमा ए हिंद के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत कासमी ने प्रदेशभर के लिए अपील जारी की है। जमीयत से जुड़े पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं से अपील की गई कि वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी राय बार कोड पर जरूर दें और लोगों से भी दिलवाएं। वक्फ की बेहतरी के लिए भी सुझाव दें। वक्फ संपत्तियां पहले निर्धनों एवं असहायों के लिए दान की गई थी। यह बात बिल्कुल गलत है कि पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनें वक्फ की है। इस पर गुमराह न किया जाएं।

उलमा मुखर, कहा कतई मंजूर नहीं संशोधन
शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि औकाफ अल्लाह की मिल्कियत है। एक बार वक्फ, हमेशा के लिए वक्फ है। ये संपत्ति गरीब, दलित, आदिवासियों के उत्थान के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। इस बिल को संशोधित कर क्या सरकार इन सबके हक पर डाका डालने का प्रयास कर रही है। यह प्रधानमंत्री के सबका साथ सबका विकास के नारे के विपरीत है। सरकार को चाहिए कि इस बिल तत्काल प्रभाव से रोकें। मुफ्ती सलीम अहमद कासमी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य ने कहा कि वक्फ बिल में संशोधन मंजूर नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देशभर में इसके खिलाफ लामबंद है। मस्जिदों एवं मोहल्लों में क्यूआर कोड स्कैन कराकर राय जेपीसी को भेजी जा रही है। सरकार से गुजारिश हैं, इस बिल को रद्द किया जाए। मुफ्ती रईस कासमी, प्रदेश अध्यक्ष इमाम संगठन ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर मस्जिदें, दरगाहें, कब्रिस्तान, मदरसे हैं। इनको नुकसान नहीं होने देंगे। सरकार ट्रिब्यूनल को खत्म कर प्रशासन को शक्तियां दे रही है, वह गलत है। प्रदेशभर में अभियान चलाकर आवाज बुलंद की जा रही है। उधर, नईम कुरैशी, अध्यक्ष मुस्लिम सेवा संगठन बोले, वक्फ संपत्तियों का मामला हमारी आस्था से जुड़ा है। पूर्व में भी आस्था की बुनियाद पर फैसले हुए हैं। हमारी आस्था से खिलवाड़ होता तो सरकार के विरुद्ध संवैधानिक विरोध के लिए तैयार है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी बार कोड के माध्यम से सुझाव दे रहे हैं।

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