उत्तराखंड में महिलाओं को 30% आरक्षण देने वाले कानून को हाई कोर्ट में चुनौती, 6 हफ्तों में मांगा जवाब

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार को राज्य की महिला नागरिकों को 30% आरक्षण देने वाले कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) अधिनियम, 2022 को चुनौती दी है, जिसे 10 जनवरी, 2023 को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने मंजूरी दे दी थी। गुप्ता ने कहा कि कोर्ट ने राज्य को 6 सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट ने आगे निर्देश दिया है कि नियुक्तियां जारी रह सकती हैं लेकिन वे इस रिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी।’ गुप्ता ने कहा कि पिछले साल अगस्त में हाई कोर्ट ने राज्य की मूल निवासी महिलाओं को राज्य सेवाओं में 30% आरक्षण देने के 2006 के सरकार के आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा, ’10 जनवरी, 2023 को जब राज्य विधानमंडल द्वारा नया अधिनियम लागू किया गया और उत्तराखंड में महिलाओं के लिए डोमिसाइल आधारित आरक्षण वापस लाया गया।’ गुप्ता ने कहा कि याचिका में हाई कोर्ट के समक्ष अनुरोध किया गया है कि उत्तराखंड राज्य के पास अधिवास आधारित महिला आरक्षण प्रदान करने के लिए ऐसा कानून बनाने की कोई विधायी क्षमता नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमने दलील दी है कि यह अधिनियम केवल प्रभाव को खत्म करने के लिए लाया गया है।

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