उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर भी नहीं दे रहे टैक्स, परिवहन विभाग वसूली करने में नाकाम

देहरादून। टैक्स देने के मामले में यूपी रोडवेज ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के ट्रांसपोर्ट कारोबारी भी काफी पीछे हैं। बकाया टैक्स का आंकड़ा 250 करोड़ पार कर गया है लेकिन परिवहन विभाग इसे वसूल करने में नाकाम साबित हो रहा है। मार्च महीने में परिवहन आयुक्त रणवीर सिंह ने सभी मातहतों को 15 दिन का विशेष टैक्स वसूली अभियान चलाने के सख्त निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया था कि जो भी वसूली की जाएगी, उसकी रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेजनी है। सख्ती के बाद भी परिवहन विभाग के अधिकारी इस दिशा में कोई करामात नहीं कर पाए। हालात यह हो गए हैं कि टैक्स बकाया का आंकड़ा 250 करोड़ रुपये पार कर गया है।

परिवहन विभाग के अधिकारी तो 20 से 25 करोड़ बकाया बताते थे लेकिन जब परिवहन सचिव ने पिछले साल इसकी जांच कराई तो पता चला कि यह आंकड़ा तो 220 करोड़ से ऊपर है। हैरत की बात यह भी सामने आई थी कि पूरे वित्तीय वर्ष में प्रदेशभर के परिवहन कार्यालयों के माध्यम से केवल 66 करोड़ की ही वसूली हुई थी। परिवहन विभाग को वाहनों के पंजीकरण, नवीनीकरण, लाइसेंस फीस और ग्रीन सेस आदि के रूप में राजस्व मिलता है। इस राजस्व से कर्मचारियों का वेतन देने के साथ ही सड़क सुरक्षा कार्य भी कराए जाते हैं। लेकिन, विभाग के राजस्व की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। परिवहन विभाग के कर्मचारियों की सबसे ज्यादा परेशानी वाहनों के टैक्स की वसूली में आ रही है। दरअसल, वाहनों के पंजीकरण में जो पते दिए गए हैं, उनमें बड़ी संख्या ऐसे पतों की है जो कि केयर ऑफ यानी किसी और के यहां के दिए गए हैं। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जब उस जगह वसूली का नोटिस भेजा जाता है तो वह वापस आ जाता है। इस वजह से वसूली नहीं हो पा रही है।

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