जान हथेली पर रखकर तार झूले से नदी पार कर रहे हैं सीऊं के ग्रामीण

आरएनएस राजगढ़। करीब 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत सबसे बड़े गांव सींऊ के ग्रामीण दोनों रज्जू मार्ग पर ओपरेटर नियुक्त न होने से जान हथेली पर रखकर नदियां पार कर रहे हैं। दरअसल गिरी व पालर नदी के बीच बसे इस गांव के लोगों के लिए बरसात में यातायात का प्रमुख साधन दोनों नदियों पर बने पारम्परिक रज्जू मार्ग अथवा तार झूले है। वर्ष 2019 में इन दोनों रज्जू मार्ग की मरम्मत पर बीडीओ संगड़ाह के माध्यम से जहां 2 लाख 80 हजार का बजट खर्च हो चुका है, वहीं पिछले साल भी गर्मियों व बैरिंग में आई खराबी की मरम्मत हो चुकी हैं।

 ग्रामीणों के अनुसार गत वर्ष हालांकि पंचायत द्वारा यहां ओपरेटर की नियुक्ति की गई थी, मगर इस साल ऐसा नहीं किया गया। रेणुकाजी डेम के डूब क्षेत्र में आने वाले इस गांव की भूमि अधिग्रहण करने के सरकार द्वारा करीब 100 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है तथा नियमानुसार यहां पुल बनाने जैसा कोई भी निर्माण कार्य भी नहीं हो सकता। डेम निर्माण के लिए बजट उपलब्ध न होने के चलते अभी इस गांव का विस्थापन होना शेष है।

उपायुक्त सिरमौर अथवा सरकार द्वारा हालांकि विशेष प्रावधान कर यहां पालर खड्ड पर पुल के लिए करीब 10 लाख का बजट उपलब्ध करवाया गया है, मगर उक्त पुल तैयार होना शेष है। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन तथा नेताओं से गांव के दोनों और लगे रज्जू मार्गों पर ऑपरेटर की नियुक्ति की मांग की।

यूं तो लोग इसे करोड़पतियों का गांव भी कहते है, मगर यहां रहने वाले दर्जन भर अनुसूचित जाति के परिवार ऐसे भी हैं जिनके नाम राजस्व रिकार्ड में जमीन न होने के चलते उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला। संगड़ाह से सीऊं जाने वाली कच्ची सड़क बरसात में बंद हो जाती है तथा ऐसे में लोगों को तारों से बनी रस्सियों के ऊपर से जोखिम उठाकर गुजरना पड़ रहा है। नदियों में बरसात का पानी ज्यादा होने के चलते इन दिनों पैदल अथवा तैरकर नदियां पार करना संभव नहीं है।

 कार्यवाहक बीडीओ संगड़ाह हरमेश ठाकुर ने कहा कि, रज्जू मार्गों के लिए ऑपरेटर नियुक्ति का काम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आता है। पंचायत सचिव दीपराम शर्मा ने कहा कि, झूला ऑपरेटर के लिए कोटशन आमंत्रित की गई है तथा इसी गांव के रहने वाले संगड़ाह पंचायत के उपप्रधान को भी इस बारे ग्रामवासियों से चर्चा करने को कहा जा चुका है।