ठाकुर का कुआं नाटक से सामाजिक बुराई पर प्रहार

देहरादून(आरएनएस)। दून पुस्तकालय व शोध केंद्र की ओर से शनिवार को इप्टा संस्था व भारत ज्ञान विज्ञान समिति देहरादून के सहयोग से मुंशी प्रेमचन्द के लिखे ठाकुर का कुआं नाटक का मंचन किया गया। इसकी कहानी के माध्यम से सामाजिक बुराई पर प्रहार किया गया।सामाजिक लिंग जाति और वर्ग के भेदभाव की दशा को चित्रित करते इस नाटक की नायिका गंगी अपने बीमार पति को कुएं से पानी नहीं पिला सकती, जो एक मरे हुए जानवर की दुर्गंध से पीने लायक नहीं रह गया है। समाज में दलित होने के नाते उसे पास के ठाकुर के कुएं का साफ पानी लाने की मनाही है। वक्ताओं ने कहा कि यह नाटक दलितों की इसी गंभीर समस्या को उजागर करता है। जिसे दूर करना हम सबका दायित्व बनता है। नाटक का निर्देशन सतीश धौलाखंडी ने किया। नाटक के मुख्य पात्रों में गायत्री टमटा, अमित बिजलवाण, धीरज रावत, विनिता रितुंजया व सुमन, सैयद अली, सतीश धौलाखंडी, सुशील पुरोहित आदि शामिल रहे। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। सामाजिक कार्यकर्ता बिजू नेगी ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन इप्टा के उत्तराखंड प्रभाग के अध्यक्ष डॉ वीके डोभाल ने किया। इस अवसर पर हरिओम पाली, सहाब नकवी, सुरेंद्र सजवाण, पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, डॉ अतुल शर्मा, हिमांशु आहूजा, सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर, अवतार सिंह, विनोद सकलानी आदि मौजूद रहे।

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