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देहरादून(आरएनएस)। विश्व रंगमंच दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ. अतुल शर्मा के निवास वाणी विहार अधोई वाला में गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नाटकों में रंग गीतों पर गहन चर्चा की गयी।जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने बताया कि रंग गीत नाटकों के संवादों की तरह ही होते हैं। ये कथानक और दृष्यों को गति प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीस वर्षों से वे नाटकों में गीत लिख रहे हैं। एनएसडी के पूर्व स्नातक सुवर्ण रावत के निर्देशन में गीत लिखे। रस्किन बांड की कहानी पर आधारित नाटक नीली छतरी में उन्होंने समस्त गीत लिखे। यह नाटक दिल्ली राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के आयोजन जश्ने बचपन में हुआ। नीली छतरी हाथ में मेरे तनी हुई है, जैसे नीला अंबर मेरी मुट्ठी में है..,लोक प्रिय हुआ था। दून में एनएसडी की ही एक कार्यशाला में दिनेश खन्ना के निर्देशन में कहानीकार निर्मल वर्मा की कहानी कव्वे और काला पानी के सभी गीत लिखे। उनमें से एक गीत बर्फ से भीगी हवा बहने लगी, पांव से पगडंडियां कहने लगी..,पसंद किया गया था। इसी महीने संस्कृति विभाग द्वारा सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों पर हुए नाटक में उनका लिखा गीत शामिल किया गया था। रंगकर्मी प्रियंका डंगवाल ने बताया कि जनकवि डॉ. अतुल शर्मा के लिखे अनेक जनगीतों राज्य में होने वाले नुक्कड़ नाटकों में प्रमुखता से गाए जाते हैं। कहानीकार रेखा शर्मा और कवयित्री रंजना शर्मा ने बताया कि डॉ. अतुल शर्मा ने बाल नुक्कड़ नाटक दल की स्थापना की थी और यह दस साल तक सक्रिय रहा था।

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