द्वाराहाट: ऑल व गरख धड़े के जोशीले रणबांकुरों ने ओड़ा भेटने की निभाई रस्म

अल्मोड़ा, द्वाराहाट: ऐतिहासिक स्याल्दे मेला 2021 शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। मुख्य मेले में नगाड़ों की गर्जना व हुड़के की घमक के साथ वीररस की हुंकार ने हिमालयी गौरवशाली अतीत के दर्शन कराए। सरंकार नृत्य ने जहां रणकौशल की बानगी दी। वहीं प्रेम व श्रृंगार रस से लबरेज झोड़ा व चांचरी ने माहौल में अलग ही मिठास घोली। वहीं रणसिंग की गगनभेदी धुन के बीच आल व गरख धड़े के जोशीले रणबांकुरों ने ओड़ा भेंटने की रस्म निभाई।

ऐतिहासिक स्याल्दे मुख्य मेले में शराब की दुकानें खुली रखने से आहत महिला रंगकर्मियों ने व्यवस्था पर सवाल उठाए। साथ ही झोड़ा गीत ‘पहाड़ा का दाज्यू झन पिया शराबा, लाल लाल थैली नाम गुलाबा..’ के जरिये नशाखोरी पर प्रहार किया। वहीं मौजूदा वनाग्नि तथा घटती हरियाली के प्रति आगाह करते हुए संदेश दिया- ‘बांज नि काटा लछीमा बांजा नि काटा ..’। वहीं 95 वर्षीय झोड़ा व भगनौल गायक टीका राम ने भी समा बांधा।

स्याल्दे बिखोती 2021 के मेले में पौराणिक ऐतिहासिक मेला गुरुवार को झोड़ा व चांचरी की उमंग से सरोबार रहा। मुख्य स्याल्दे मेले को देखते हुए सुबह से ही महिलाओं की टोलियां मुख्य चौराहे पर जुटनी शुरू हो गई थी। शाम को गरख धड़े की ग्राम पंचायत छतगुल्ला, सलना, बसेरा, नैणी, बूंगा, कुई, बेढुली, गवांड़ व सिमलगांव के रणबांकुरों ने नौ जोड़े नगाड़े निषाणों के साथ ओड़ा भेंटा। इसके बाद आल धड़ा की ओर से विजयपुर के बांकुरों ने छह जोड़ी नगाणे निषाणों के साथ ओड़ा भेंटने की रस्म निभाई। इस दौरान पूरा नगर त्रिशुल सजे निषाणों से पट गया। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए तमाम गांवों का रेला नहीं पहुंचा।

(रिपोर्ट: मनीष नेगी द्वाराहाट)

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