स्वरोजगार योजना के लोन घोटाले में बैंक प्रबंधक समेत सात को सजा
देहरादून। केंद्र की स्वरोजगार गारंटी योजना के लोन में हुए फर्जीवाड़े में सीबीआई की विशेष अदालत ने सात लोगों को सजा सुनाई है। आरोपियों में बैंक शाखा का तत्कालीन शाखा प्रबंधक शामिल है। शाखा प्रबंधक को पांच साल की सजा सुनाते हुए 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। अन्य आरोपियों को अदालत ने तीन-तीन साल कारावास सजा सुनाई। आरोपियों ने बैंक को कुल 1.33 करोड़ का चूना लगाया। सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने बताया कि मामला 2004 का है। पंजाब नेशनल बैंक की मंगलौर शाखा में अशोक कुमार भारद्वाज मैनेजर के पद तैनात थे। चंद्रिका इंडस्ट्रीज, बालाजी ऑयल, भगवती बेसन मिल, जिंदल होजरी, शिव दाल मिल और मैसर्स न्यू एमपीएस स्पीकर्स नाम की फर्म को खादी ग्रामोद्योग प्रयोजित योजना के तहत लोन दिया गया था। लोन जमा नहीं होने पर इनके आठ खाते एनपीए हो गए। इनके साथ ही दीपक इंटरप्राइज और चंद्रिका ट्रेडिंग ने गन्ने की खोई का कारोबार करने के लिए केडिट लिमिट बनवाई थी। सभी ने कुल 1.34 करोड़ बैंक से निकाले। इसके बाद वर्ष 2006 में जब वहां पर राकेश शर्मा नाम के वरिष्ठ मैनेजर पद पर आए तो उन्होंने सारे खेल को पकड़ लिया। पता चला कि इन फर्म के मालिकों ने फर्जी तरीके से कागजात जमा किए हुए थे। इसके अलावा तमाम संपत्तियां जो उन्होंने गिरवी रखी हुई थी उनमें भी ज्यादातर फर्जी थे।