स्वामी विवेकानंद के विचारों के आलोक में शिक्षा, शिक्षार्थी और शिक्षण संस्थान विषय पर संगोष्ठी आयोजित

स्वामी विवेकानन्द के विचारों को जनमानस के लिए बताया आदर्श

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी आध्यात्मिक पर्यटन परिपथ अध्ययन केंद्र तथा रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारम्भ हुआ। मंगलवार को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद के विचारों के आलोक में शिक्षा, शिक्षार्थी और शिक्षण संस्थान विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का मुख्य ऑडिटोरियम में उद्घाटन हुआ। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि रूप में वेदांत सोसाइटी, न्यूयॉर्क के मिनिस्टर-इन-चार्ज स्वामी सर्वप्रियानंद ने कहा कि स्वामी जी के विचार जनमानस के लिए आदर्श हैं। यह सेमिनार स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद ने कहा कि यह संगोष्ठी शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। यह आध्यात्मिक क्षेत्र है, यहां विवेकानन्द जी ने पदार्पण किया है। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने कहा विवेकानन्द जी ने मात्र 29 वर्षों में ही भारत का विराट स्वरूप प्रस्तुत किया जिससे पूरी दुनिया में भारत की एक सकारात्मक छवि का संचार हुआ। ऐसे मनीषी के शिक्षक, शिक्षण संस्थान और शिक्षार्थी विषयक विचार आज की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉक्टर राधाकृष्णन पिल्लई ने कहा कि स्वामी जी के विचार आज के समय में प्रासंगिक हैं। उनके विचारों के अनुरूप शिक्षा, शिक्षण संस्थानों की एक अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि स्वामी राघवेंदानंद जी ने आयोजकों को सेमिनार के आयोजन के लिए बधाइयां दी और कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि एकाग्र रहें। आज के जीवन में स्वामी जी के विचार जरूरी हैं। शिक्षा में उनके विचारों को पिरोया जाए। उद्घाटन सत्र में संगोष्ठी के अध्यक्षीय उद्बोधन में संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक, कुलपति प्रोफेसर सतपाल सिंह बिष्ट ने कहा की विवेकानन्द के विचारों के अनुरूप शिक्षक, शिक्षार्थी एवं शिक्षण संस्थान कार्य करें तो छात्र बहुत कुछ सीखेंगे। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार में अंतराष्ट्रीय विद्वतजनों के जुटने से विवेकानन्द जी के विचारों को आकार मिला है। उन्होंने आयोजकों को बधाई दी। विशिष्ट अतिथि एडवोकेट चंद्रशेखर रावत ने कहा युवाओं को विवेकानन्द के प्रेरणादायी वक्तव्यों का निरंतर स्मरण करते हुए उन्हें अपने व्यवहार में लाने का प्रयास करना चाहिए। डॉ मिल्टन देव (ढाका यूनिवर्सिटी, ढाका, बांग्लादेश) ने कहा अल्मोड़ा वासी धन्य हैं जहां विवेकानन्द जी का तीन बार आगमन हुआ और इस कारण अल्मोड़ा को भी देश दुनिया में बड़ी पहचान मिली। सेमिनार का संचालन संगोष्ठी के संयोजक चंद्र प्रकाश फुलोरिया, डॉ मंजुलता उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर स्मारिका का भी विमोचन किया गया। संगोष्ठी में देश-विदेश से पधारे विद्वान शोधार्थी भी अपने शोध पत्रों का वाचन किया। संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों तथा शोधार्थियों के साथ स्थानीय विद्वतजन तथा स्थानीय शिक्षण संस्थानों के शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने भी भागीदारी की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट, कुलानुशासक डॉ दीपक, प्रो अरविंद सिंह अधिकारी, प्रो शेखर चन्द्र जोशी, डॉ नवीन भट्ट, डॉ रवींद्रनाथ पाठक, डॉ सुनीता कश्यप, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ धाराबल्लभ पांडेय, ललित जोशी योगी आदि के साथ साथ बीरशीबा, विवेकानन्द बालिका इंटर कॉलेज, लाल बहादुर शास्त्री कंप्यूटर संस्थान, मां अम्बे पैरामेडिकल संस्थान के शिक्षक एवं विद्यार्थी भी शामिल हुए।

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