स्टाफ नर्स परीक्षा हेतु हर जिले में परीक्षा केंद्र बनाएं: अमित जोशी आप उपाध्यक्ष

अल्मोड़ा। आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित जोशी ने आज जारी बयान में कहा की उत्तराखंड सरकार के खेवनहार महोदय की जितनी तारीफ करें उतनी कम है। एक ओर जहां हर रोज कोविड -19 से संक्रमित मरीजों में उतार चढ़ाव आ रहे हैं और कई मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं इस परिवेश में 28/5/2021 को पूरे राज्य में मात्र दो लिखित परीक्षा केंद्र हल्द्वानी व देहरादून में बनाकर सरकार द्वारा स्टाफ नर्स की परीक्षा कराई जा रही है जो की सोचनीय है और हास्यास्पद विषय है।
अमित जोशी ने आगे कहा की स्टाफ नर्स प्रवेश परीक्षा में आवेदन करने वाले हमारे युवा उत्तराखंड से बाहर अन्य राज्यों के अस्पतालों व प्राईवेट नर्सिंग क्लीनिकों में इस कोरोना महामारी के समय अपने सेवाऐं दे रहे हैं। वो इस कर्फ्यू में कैसे आयेंगे? जबकि उत्तराखंड में कर्फ्यू 25/5/2021 तक है।

आप प्रदेश उपाध्यक्ष अमित जोशी ने आगे कहा की उत्तराखंड में ही स्टाफ नर्सें कोविड अस्पतालों में दिन रात सेवाऐं दे रहीं और कुछ की ड्यूटी सैम्पलिंग व वैक्सीनेशन में लगा रखी है। बड़े जिलों में बने कोविड सेंटरों व प्राईवेट अस्पतालों में भी सेवाऐं दे रहे हैं। ऐसे में एक ही दिन में और प्रदेश के सिर्फ 2 शहरों में सेंटर होने से यह सभी यदि पेपर देने गए तो पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था जो पहले से ही कर्मचारियों की कमी से चरमराई हुई है वह और अधिक खराब हो जायेगी। एक दिन के लिए पूरे प्रदेश के अस्पताओं से वह सभी युवा कर्मचारी गायब हो जाएंगे जो यह पेपर देने जायेंगे, जिससे कोरोना मरीजों की देख भाल करने में काफी समस्या आएगी।
उन्होंने आगे कहा की सोचनीय व चिंताजनक बात यह है की कुछ अभ्यर्थी खुद संक्रमित हैं और कुछ होम आइशोलेसन में हैं और उनके परिवारजन भी संक्रमित हैं। ऐसे में यह 28/5/2021 का फरमान बिल्कुल गलत है।

अमित जोशी ने आगे सरकार को सुझाव देते हुए कहा की वैश्विक महामारी के इस संकटकाल के समय में यदि सरकार को परीक्षा करवानी ही है तो उन्हें पूरे प्रदेश के सभी जिलों में काम से काम 1 सेंटर जरूर बनाना चाहिए और पेपर को अलग अलग दिनों में और अलग अलग शिफ्ट में कराना चाहिए जिससे अभियार्थी अपने ही जिलों के सेंटर में जाकर पेपर दे सकें और अलग दिनों में पेपर होने से अस्पतालों के ऊपर भी कर्मचारियों की कमी की जो समस्या उत्पन्न होंगी उसे भी काम करके बचा जा सकता है। या फिर पूर्व से चली आ रही चयन प्रक्रिया के आधार पर वरिष्ठता व अंक गुणांक के अनुसार नियुक्ति की जाए और उनको प्रथम वरीयता दी जाए जो चयन आयु की सीमा को पूर्ण कर रहे हों और जो वर्षों से संविदा पर अल्पवेतन में अपनी सेवाऐ दे रहे हैं उन्हें प्राथमिकता में चयन करना चाहिए।

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