शीतकाल हेतु द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट बंद

रुद्रप्रयाग। द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। शुक्रवार को प्रातः साढ़े आठ बजे वैदिक मंत्रोच्चार और विधि विधान के साथ मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे। शुक्रवार को पौराणिक रीति रिवाज, परम्परा और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सुबह साढ़े तीन बजे पुजारी शिवशंकर लिंग द्वारा पूजा-अर्चना के बाद भगवान का रुद्राभिषेक किया। इसके बाद धाम में पहुंचे भक्तों ने भी भगवान का जलाभिषेक किया। इसके बाद विशेष पूजा-अर्चना की गई। भगवान को भोग लगाया गया। पुजारी शिवशंकर लिंग द्वारा फूल, फल, अक्षत, मेवे, ब्रह्मकमल, भस्म से गर्भगृह में स्थित स्वम्भू शिवलिंग को समाधि दी गई। इसके साथ ही पंडित नवीन मैठाणी द्वारा प्रातः छह बजे हवन की परंपरा को संपन्न किया गया। भगवान की भोग मूर्तियों को चलविग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया। जिसके बाद पंडित मृत्युंजय हीरेमठ के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ डोली अपने निशानों के साथ मन्दिर की तीन परिक्रमा व पात्रों का निरीक्षण करते हुए डोली पहले पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हुई। मैखंबा, कूनचट्टी, नानौ,खटारा व बणतोली होते हुए डोली देर शाम गौंडार पहुंची जहां पर ग्रामीणों द्वारा डोली का भव्य स्वागत किया गया। ग्रामीणों ने भगवान को अर्ध्य लगाया जाएगा। डोली यात्रा 19 को रांसी, 20 को गिरिया गांव में रात्रि प्रवास के बाद 21 को ओंकारेश्वर मन्दिर में पहुंचेगी। जहां पर डोली के स्वागत में भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा। इधर, ऊखीमठ में डोली के स्वागत के लिए मन्दिर समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मन्दिर के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि मन्दिर को चार कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है इसके साथ ही पैदल मार्गों को भी सजाया जाएगा। इस मौके पर पंच कार्यवारियान हकहकूक धारी शिवानन्द पंवार, प्रधान वीर सिंह, शिव सिंह पंवार, डोली प्रभारी मनीष तिवारी, नवीन मैठाणी, मृत्युंजय हीरेमठ, गंगाधर भट्ट, मनीष तिवारी, ईश्वर लिंग, पुष्कर रावत, दिलबर सिंह, संदीप बर्त्वाल, रवि नेगी, प्रकाश तिवारी आदि मौजूद थे।

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