मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी हुई दूर, नहीं छोड़ेंगे पार्टी

देहरादून। शुक्रवार को इस्तीफे की धमकी देकर उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक छोड़ कर जाने वाले भाजपा के मंत्री हरक सिंह रावत को मना लिया गया है। ऐसा दावा देहरादून में रायपुर विधानसभा के विधायक उमेश शर्मा काऊ ने किया। उन्होंने कहा कि कोई भी बीजेपी नहीं छोड़ रहा है। हरक सिंह रावत की नाराजगी थी। इस पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उनसे बात की और उनकी नाराजगी दूर कर दी है। ये बात विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कराई। बताया कि हरक की मांग को मान लिया गया है। जल्द ही शासनादेश जारी होने के साथ ही धनराशि जारी कर दी जाएगी।
उमेश शर्मा के मुताबिक भाजपा में केंद्रीय नेतृत्व का उन्हें बहुत सम्मान मिलता है। ऐसा सम्मान कहां मिलता है। कहा कि बीजेपी में कोई अंदरुनी कलह नहीं। हरक सिंह रावत का अंदर का दर्द था। उन्हें जनता को जवाब देना था। उन्होंने नाराजगी जताई थी। वह कहीं छोड़ने नहीं जा रहे हैं। हम बीजेपी में हैं। बीजेपी को छोड़ने वाले नहीं हैं। मैं बीजेपी में ही मरूंगा। उन्होंनें कहा कि ये दूसरे दलों और मीडिया ने उड़ा दिया कि हम बीजेपी छोड़कर जा रहे हैं। बताया गया कि कैबिनेट बैठक से उठकर हरक सिंह रावत घर नहीं पहुंचे। वह एक होटल में चले गए। वहीं, उन्हें मनाने के प्रयास शुरू हुए। उमेश शर्मा काऊ ने मध्यस्थता की। बताया जा रहा है कि सीएम भी रात को अपने आवास में नहीं रहे। मानमनोवल का क्रम देर रात से शुरू होकर सुबह तक चला। इसके बाद हरक सिंह रावत मान गए। अब देखना ये है कि चुनाव होने तक वह कितनी बार और भाजपा को झटके देते रहेंगे।
गौरतलब है कि शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में हरक सिंह रावत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कोटद्वार में स्वीकृत मेडिकल कॉलेज को लटका रही है। ऐसे में वे अब काम नहीं कर सकते हैं। वह मेडिकल कॉलेज का जीओ जारी न होने पर नाराज नजर आए। हरक सिंह रावत ने कहा है कि 5 साल से अपने क्षेत्र के लिए मेडिकल कॉलेज मांग रहा था, लेकिन इन लोगों ने मुझे भिखारी सा बना दिया। वे इतने ज्यादा नाराज नजर आए कि उनकी आंखे नम हो गईं और वे रोने भी लगे। उनके मुताबिक उनकी अपनी सरकार ने उनकी इस मांग को नजरअंदाज किया। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में उनकी सीएम पुष्कर सिंह धामी से बहस हुई। इसके बाद वह नाराज होकर चले गए। उन्होंने कहा कि ऐसे में मेरा मंत्री होने का क्या फायदा।
वह कैबिनेट की बैठक को बीच में छोड़कर निकल गए। उनके पीछे सीएम धामी भी निकल गए। उन्होंने भी पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और धनसिंह रावत उनके पीछे गए और समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। धन सिंह रावत से इस्तीफे की बात पूछी गई, तो वह सिर्फ ये ही कहते रहे कि हरक सिंह रावत सीनियर नेता हैं। इसके अलावा वह कुछ नहीं बोल पाए। साथ ही वह बार बार यही दोहराते रहे कि कैबिनेट की बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई है। हालांकि हरक सिंह रावत ने लिखित इस्तीफा नहीं दिया। सिर्फ मौखिक घोषणा की, ऐसे मैं माना जा रहा है कि उन्होंने अभी बातचीत की गुंजाइश छोड़ी हुई है।
उनके साथ ही बीजेपी के रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ के भी भाजपा छोड़ने का ऐलान करने की खबर आई। हालांकि बाद में काऊ के पीआरओ ने इसका खंडन किया। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक श्रीनगर से कार्यक्रम छोड़कर वापस आ गए। उन्होंने कहा कि इस्तीफे की बातें निराधार है। किसी ने कोई इस्तीफा नहीं दिया। इसके बाद से ही भाजपाईयों की नींद उड़ चली। देर रात तक हरक सिंह रावत और काऊ का पता नहीं था कि दोनों कहां हैं। इसके बाद काऊ प्रकट हुए और उन्होंने भाजपा नहीं छोड़ने का ऐलान किया। बताया जा रहा है कि हरक को मना लिया गया है। इसमें अमित शाह की भी भूमिका रही और राज्य सभा सदस्य अनिल बलूनी को इसकी जिम्मेदारी सौपी गई। उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि अनिल बलूनी ऐसे नेता हैं, जो उत्तराखंड के बार में हर जानकारी रखते हैं। अनिल बलूनी के अलावा कोई दूसरा नेता यहां की बारिकियों को नहीं समझता।
गौरतलब है कि हरक सिंह रावत पहले भाजपा में थे। फिर वे कांग्रेस में गए। पूर्व सीएम हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान वह कांग्रेस से बगावत कर कई साथियों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में पुराने भाजपाई उन्हें पचा नहीं पा रहे थे। उनका पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ काफी समय तक आरोप प्रत्यारोप की लड़ाई भी चली। उमेश शर्मा काऊ ने भी हरक सिंह रावत के साथ कांग्रेस छोड़ी थी। उनका पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से विवाद चला। इसके बाद रायपुर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से भी उनका विवाद सार्वजनिक हुआ। ऐसे में समय समय पर इन नेताओं के भाजपा छोड़ने की चर्चा उठने लगती है। यहां ये भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस के नेता एवं पूर्व सीएम हरीश रावत की तर्ज पर हरक सिंह रावत ने अपनी बात को मनवाने के लिए इस्तीफे की धमकी दी।

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