स्कूल बसों से लेकर वैन का किराया बढ़ा

 रुडकी।  वैन चालकों से लेकर अधिकांश स्कूलों ने बसों का किराया बढ़ा दिया है। डीजल, बीमा आदि में बढ़ोत्तरी को इसका आधार बताया गया है। कई अभिभावक खुद ही बच्चों को स्कूल लाने और छोड़ने जा रहे हैं।
कोरोना के चलते स्कूल पिछले साल मार्च से ही बंद हो गए थे। बीच में स्कूल खुले, लेकिन बसों का संचालन नहीं किया गया। सरकार की ओर से जो गाइड लाइन जारी की गई थी उसमें स्कूल केवल टयूशन फीस ले सकते थे। कोरोना के मामले कम हुए तो सभी कक्षाओं के ऑफलाइन संचालन की अनुमति मिल गई। इसके साथ ही कई स्कूलों ने बसों का संचालन भी कर दिया। लेकिन अब अभिभावकों को बढ़ा हुआ किराया देना पड़ रहा है। पहले जिस जगह से एक माह का किराया 700 रुपये लिया जाता था अब वह 900 रुपये हो गया। दो साल पहले तक जहां किराया 1700 महीना था अब वह 2200 रुपये तक पहुंच गया है। कई अभिभावक बच्चों को वैन और ई-रिक्शा से भी भेजते हैं। पहले ई-रिक्शा में 850 रुपये महीना लिया जाता था अब 1200 रुपये लिए जा रहे हैं। वैन का किराया 900 से बढ़कर प्रति बच्चा 1500 रुपये हो गया है। स्कूलों ने इससे पहले अभिभावकों से सहमति ली थी। जिन अभिभावकों ने सहमति दी उनके बच्चों के लिए बसों की व्यवस्था की गई। कोरोना के कारण और बढ़े हुए किराए के चलते कई लोग बच्चों को स्कूल लाने और छोड़ने खुद जा रहे हैं। अभिभावक अमित कुमार, राहुल ने बताया कि जिस तरह से कोरोना के नए वैरिएंट आ रहे हैं उससे पता नहीं कब स्कूल बंद हो जाएं। इसलिए वह अभी बच्चों को वैन या बस से नहीं भेज रहे हैं। वैन-बसों का किराया भी बढ़ा है। नाम प्रकाशित न करने के अनुरोध पर कुछ स्कूलों ने बताया कि डीजल आदि महंगा हो गया है। कुछ स्कूल संचालकों ने तो बसों का संचालन ही बंद कर दिया।


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