रिजर्व बैंक का फैसला वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता पैदा करने वाला : एसबीआई चेयरमैन खारा

नयी दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने नीतिगत दर बढ़ाने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत वक्तव्य को मुद्रास्फीति में कमी लाने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता के अनुरूप बताया है।
श्री खारा ने एक बयान में कहा,  आरबीआई के नीति वक्तव्य ने मुद्रास्फीति को और नीचे लाने और बाजारों में वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। सिद्धांत रूप में, आरबीआई ने अपनी सुविधाजनक स्थिति का प्रयोग करते हुए महत्वपूर्ण (मौद्रिक) उपायों में सामंजस्य स्थापित करके यह सुनिश्चित किया है कि अर्थव्यवस्था रोजमर्रा की जिंदगी में मुद्रास्फीति के प्रभावों से अधिक से अधिक सुरक्षित बनी रहे।
उन्होंने कहा कि आरबीआई के ताजा विकासात्मक उपायों का उद्देश्य बड़े पैमाने पर जी-सेक (सरकारी प्रतिभूति) और विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करना है।
श्री खारा ने कहा कि भारत बिल भुगतान प्रणाली का प्रभाव मध्यम अवधि में लाभ दिखेगा।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने रेपो दर 4.90 प्रतिशत से 0.50 प्रतिशत बढक़र 5.40 प्रतिशत कर दिया है।
मिलवुड केन इंटरनेशनल संस्थापक और सीईओ निश भट्ट,  अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक के बाद,आरबीआई ने भगोड़ा मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए दरों में वृद्धि करने के लिए सूट का पालन किया है। बढ़ती मुद्रास्फीति चिंता का विषय बन गई है, यहां तक कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक विकास पर मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने आरबीआई के निर्णय को,  नीतिगत बढ़ाने का काम पहले निपटाने का एक और कदम बताया।
उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को अन्य 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 5.40 प्रतिाशत कर दिया और माना जाता सकता है कि आरबीआई का ‘नरम नीतिगत रुख की वापसी पर ध्यान देने का’ निर्णय अपरिवर्तित है।’
सुश्री माधवी के अनुसार आरबीआई का नीतिगत स्वर संतुलित है और यह जून के समान ही रहा, जिसका मुख्य लक्ष्य मुद्रास्फीति और बाहरी जोखिमों को कम करना है।

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