सस्ते गल्ले का चावल लेने को तैयार नहीं उपभोक्ता

रुड़की। सस्ते गल्ले के चावल को लेकर लक्सर क्षेत्र के राशन डीलर परेशान हैं। दिक्कत यह है कि उपभोक्ता चावल न लेकर इसके बदले भी गेहूं ही देने की मांग डीलरों से कर रहे हैं। राज्य खाद्य योजना के राशनकार्ड धारक तो चावल लेने से साफ इनकार कर रहे हैं। इसके चलते हजारों कुंतल चावल डीलरों के पास डंप हो गया है।
सरकार राज्य खाद्य योजना के हर राशनकार्ड पर पांच किलो गेहूं और ढाई किलो चावल और अंत्योदय योजना के राशनकार्ड 13.300 किलोग्राम गेहूं तथा 21.700 किलोग्राम चावल उपभोक्ता को देती है। राष्ट्रीय खाद्य योजना के राशनकार्ड पर प्रत्येक यूनिट के हिसाब से 2 किलो गेहूं और ढाई किलो चावल मिलता है। लक्सर तहसील में सस्ते गल्ले की कुल 97 दुकानें हैं। इन दुकानों का हर महीने करीब 6500 कुंतल गेहूं व लगभग 5000 कुंतल चावल जारी किया जाता है। लेकिन सस्ते गल्ले का चावल से क्षेत्र के राशन डीलर खासे परेशान हैं। नाम न छापने की शर्त पर हुछ राशन डीलरों ने बताया कि सारे उपभोक्ता राशनकार्ड पर पूरा गेहूं ले रहे हैं। लेकिन चावल की गुणवत्ता घटिया बताकर इसे लेने से मना कर रहे हैं। इससे हर महीने हजारों कुंतल चावल डीलर के पास बच रहा है। अन्य राशन डीलरों ने बताया कि सबसे ज्यादा समस्या राज्य खाद्य योजना के चावल से हो रही है। इस राशनकार्ड पर 11 रुपये किलो की दर से चावल दिया जाता है। लेकिन बाजार मे इससे अच्छी गुणवत्ता का चावल इससे कम कीमत पर मिल रहा है। लिहाजा उपभोक्ता इस चावल को कतई नहीं ले रहे हैं। कुछ तो चावल के बदले भी गेहूं देने की मांग कर लड़ाई तक कर रहे हैं। इस बाबत एआरओ दिनेश शर्मा का कहना है कि उन्हें चावल की खराब गुणवत्ता के बारे में किसी डीलर की शिकायत नहीं मिली है। कोई शिकायत होगी तो जांच कर कार्रवाई करेंगे।