रिस्पना और बिंदाल नदी पर एलिवेटेड रोड का विरोध

देहरादून। रिस्पना और बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोडवेज पर दून के शिक्षित छात्रों के संगठन मेकिंग ए डिफ्रेंस बाए बीईंग द डिफ्रेंस (मैड) ने विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। कई सालों से रिस्पना और बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन के लिए काम कर रही संस्था ने सरकार के इस प्रोजेक्ट का विरोध शुरू कर दिया है। कहा कि सरकार एलिवेटेड रोड बनाने के बजाय सरकार रिस्पना और बिंदाल को सीवर मुक्त पुनर्जीवित करें।
प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में मैड के सदस्यों ने बताया कि एक ओर सरकार रिस्पना को पुनर्जीवित करने के दावे कर रही हैं। जुलाई के महीने में हरेला के दिन नाटकीय ढंग से कार्यक्रम आयोजित होते हैं। वहीं, रिस्पना-बिंदाल नदियां प्रदूषण के प्रकोप से त्रस्त हैं। तटवर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोग हर वर्ष बारिश के मौसम में बाढ़ और नदी कटाव की चपेट में आते हैं और डेंगू-मलेरिया की वजह से त्रस्त रहते हैं। रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के नाम पर पहले ही मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने दोनों नदियों का गला घोंटने का काम किया है और बेइंतहा पैसा इस कार्य में लगाया गया है। इस सबके बीच, ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ की बात करने वाली सरकार को और कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इन दोनों नदियों के पुनर्जीवन पर ही अपना पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए। संस्था के सदस्यों ने बताया कराया कि राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की की 2014 की रिपोर्ट में रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन का पूरा खाका खींच दिया गया था। इन दोनों नदियों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए चारखाल की पुरानी रीति से इन के ऊपरी क्षेत्र के कैचमेंट एरिया और बहाव क्षेत्र को संरक्षण और अतिक्रमण-मुक्त करने की जरूरत है। मैड ने यह भी ऐलान किया कि युवाओं को एक बार फिर नदी पुनर्जीवन के लिए एकत्रित किया जाएगा और एक व्यापक जनसहभागिता अभियान की शुरुआत दस हजार लोगों के पुनर्चक्रित कागज़ पर हस्ताक्षर लेकर हर स्तर पर उठाई जाएगी। मैड ने चेतावनी दी है कि नदी पुनर्जीवन से पहले और किसी तरह के प्रयास को आगे नहीं ले जाने दिया जाएगा।