रियल एस्टेट क्षेत्र में राज्य सरकारें घटा सकती हैं स्टांप शुल्क

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के दबाव से जूझ रहे रियल एस्टेट क्षेत्र को उबारने के लिए राज्यों को संपत्ति पंजीकरण शुल्क में कटौती करनी चाहिए। उद्योग जगत के साथ चर्चा में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने महाराष्ट्र की तर्ज कर अन्य राज्य सरकारों को भी कदम उठाने का सुझाव दिया है।
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) के साथ वेबिनार में केंद्रीय सचिव ने कहा कि मंत्रालय आयकर कानून में बदलाव सहित रियल एस्टेट क्षेत्र की विभिन्न मांगों पर विचार करेगा। इससे फ्लैटों का मूल्य कम होगा और बिल्डरों को बिक्री बढ़ाने में आसानी होगी। सरकार ने रुकी हुई आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ का कोष बनाया है, जिसमें से 9,300 करोड़ रुपये को मंजूरी दी जा चुकी है। केंद्र सरकार हर संभव कदम उठा रही है, लेकिन कोरोना संकट में सुस्त पड़ी मांग को तेज करने के लिए राज्यों को भी स्टांप शुल्क में बदलाव करना होगा। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मकान-दुकान की खरीद फरोख्त को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अचल संपत्तियों की बिक्री पर स्टांप शुल्क को तीन फीसदी घटाने का फैसला किया है। तीन प्रतिशत की कटौती इस वर्ष एक सितंबर से 31 दिसंबर तक लागू रहेगी। एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि अगले साल एक जनवरी से 31 मार्च के बीच यह छूट दो फीसदी रहेगी। स्टांप शुल्क संपत्ति के लेनदेन पर राज्य सरकार की ओर से वसूला जाने वाला कर है, जो उनकी आय का बड़ा हिस्सा माना जाता है। मौजूदा समय में शहरी क्षेत्रों में स्टांप शुल्क पांच फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में चार फीसदी है।


Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *